Wednesday 27 May 2015

चोरी तो नहीं की, डाका तो नहीं डाला, मोदी जी ने सत्ता ही तो छीनी है -

मोदी जी ने दिन रात काम किया। देश को अपने एक एक पल का हिसाब दिया, फिर भी ढो़ल पीट-पीट कर देश भर में कांग्रेसी मातम मना रहे है। यह मोदी सरकार की विफलता के प्रति आक्रोश नहीं, सत्ता खोने की पहली बरसी पर व्यक्त की जा रही पीड़ा है, जिसे मोदी सरकार को कोसते हुए मना रहे हैं। मन के भीतर का दर्द छुपाये छुप नहीं रहा। जैसे-तैसे एक साल तो बीत गया, पर पहाड़ से चार साल कैसे बीतेंगे ? इन चार सालों में भी प्रदीप बैंजल जैसे धोखेबाज किताबी बम फोड़ते रहेंगे, तो हमारी सारी मेहनत पर पानी फिर जायेगा।

सभी कांग्रेसियों के मन में जलन है, खीझ है, पर देश की जनता को समझा रहे हैं, हमारी महारानी के हाथ से सत्ता छीन कर एक साधरण आदमी के हाथ में सत्ता की डोर थमा कर भारत की जनता ने अनर्थ कर दिया। जब इस आदमी को हम देश चलाने के लिए काबिल नहीं मानते, फिर जनता ने ऐसा घोर पाप क्यों किया ? हमने देश की जनता को गरीबी और महंगार्इ की सौगात दी, किन्तु मोदी ने गरीबी हटाने और महंगार्इ कम करने का वाद किया था, वादा क्यों नहीं निभाया ? हम भ्रष्ट थे, पूरे देश को भ्रष्टाचार में आंकठ डूबा दिया, मोदी ने आ कर देश से भ्रष्टाचार क्यों नहीं मिटाया ? हमने दस सालों में बैरोजगारी बढ़ार्इ, इन्हें एक साल में सारे बैरोजगारों को नौकरियां देनी थी, क्यों नहीं दी ? हमने खूब काला धन विदेश भेजा, इन्हें तो वापास लाना था, क्यों नहीं ला पाये ?

आज सत्ता के बिना हमारी महारानी छटपटा रही है। युवराज बावला हो कर देश भर में जो मन आया बकता फिर रहा है। आखिर जनता को हमारे अधिकार छीनने की क्या जरुरत थी ? हमारी महारानी का राज नहीं रहा। हम सभी चाटुकार संस्कृति के सेवक अनाथ हो गये। राज परिवार की चरण रज से ही तो हमारा राजनीतिक जीवन महकता है। खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं। अब जब परिवार विपत्ती में हैं तो हम कैसे चैन से बैठ सकते हैं। इसलिए हमने ठान लिया है- मोदी सरकार चाहे जितना अच्छा काम करें, हम उसे हमेशा जीरों देते रहेंगे। जनता में भ्रान्तियां फैलाते रहेंगे। हम सभी सेवक चार साल तक मोदी सरकार को बदनाम करने और जनता की नज़रो से गिराने का भरसक प्रयास करते रहेंगे। हमे आशा है एक दिन हमारी मेहनत रंग लाएगी। हमारा युवराज देश की बागड़ोर सम्भालेगा। हमारे बुरे दिन जायेंगे। अच्छे दिन आयेंगे। बैरोजगारी मिटेगी। महारानी खुश हो कर हमें रेवड़िया बांटेगी।

हमने चाहे जितने घपले-घोटाले किये हों, देश के खजाने पर डाका डाला हों, पर इस देश पर हुकूमत करने का अधिकार हमारे राजपरिवार का ही है। हम चाटुकार आज जो कुछ भी है, इस परिवार की कृपा से ही है। मोदी सरकार ने चाहे एक साल में चोरी नहीं की, डाका नहीं डाला, फिर भी उसने कोर्इ काम नहीं किया। हमने कम से कम यह काम तो किया था। अगर ऐसा काम करना नहीं आता था, तो हमसे ही सीख लेते। हमारे भी पाप छुप जाते और आप भी पापी नहीं कहलाते, क्योंकि एक चोर दूसरे चोर को चोर नहीं कहता।

संड़ाध मार रही व्यवस्था पर इत्र छिड़कने से इसकी दुर्गन्ध नहीं मिट जाती। सतसठ साल से जमा कीचड़ को तीन सौ पैंसठ दिन में साफ करना नामुमकिन है। इस पूरी गंदगी को साफ कर एक साफ सुथरा, भ्रष्टाचार मुक्त विकसित व समृद्ध भारत बनाने के लिए मोदी सरकार को जनता ने पांच वर्ष का जनादेश दिया है। सरकार इसमें कितनी सफल होती है और जनता की अपेक्षाओं पर कितनी खरी उतरती है, इसका फैंसला जनता करेगी। उन्हें फैंसला करने और सरकार को पास-फैल करने का कोर्इ अधिकार नहीं हैं, जो दस वर्ष तक सड़ांध मार रही व्यवस्था को साफ करने के बजाय इसमें और अधिक कीचड़ उड़ेलते रहे है। वैसे भी सजा सुनाने का अधिकार न्यायाधीश को होता है, किसी मुजरिम को नहीं। भारत की जनता न्यायाधीश है, वही चार साल बाद मोदी सरकार के कामकाज का लेखा जोखा कर फैंसला सुना देगी। जो मुजरिम थे और जिन्हें जनता ने मुजरिम ठहराया है, उन्हें सरकार के पक्ष में अनर्गल संवाद करने और तथ्यहीन आरोप लगाने का कोर्इ नैतिक अधिकार नहीं है।

चोर रात में नहीं, दिन में सूट-बूट पहन कर आते है। इस तरह का जुमला सुनाने वाले पहले इस बात का जवाब दें कि दस सालों में जो बारह लाख करोड़ रुपये के घपले-घोटाले किये हैं, वह धन कहां है ? अपनी निजी यात्राओं पर हर वर्ष करोड़ो रुपये फूंकते हैं, वह धन कहां से लाये ? यदि वह चोरी का धन है, तो चोर कौन हुआ ? क्या यह जुमला सही नहीं है कि चोरों को ही सारे चोर नज़र आते हैं। मोदी सरकार भी आप ही की तरह सरकारी खजाने पर ड़ाके डालती और देश की सम्पदा को लूटेरे को लूटने देती, क्या तब उस सरकार को आप दस में से दस नम्बर देते ? आप जीरो नम्बर इसलिए दे रहें है क्योंकि एक साल में मोदी सरकार ने खजाने से एक पैसे की हेराफेरी नहीं की। न खाया और खाने दिये के अपने वादे पर कायम रही। सच भी है, खाने वाले और खिलाने वालों को ऐसी सरकारें कहां पसंद आ सकती है ?

एक के बाद एक सरकारी अफसर किताबे लिख कर जो बाते उगल रहे हैं, उसका खंड़न करने क्यों नहीं स्वंय आते ? जनता के बीच स्वयं जा कर यह बात क्यों नहीं कहते कि हम चोर नहीं है, हमने चोरी नहीं की है ? क्यों अपने चाटुकारों को सफार्इ देने के लिए भेजते हैं ? देश की जनता आपकी बकवास सुन कर बहुत आक्रोशित है। वह जानना चाहती है कि यदि मोदी सरकार ने एक साल में कोर्इ काम नहीं किया, तो आपने दस साल में क्या काम किया, उसका पहले हिसाब दें ?

शायद कांग्रेसी नेताओं को इस बात की खुशफहमी है कि जनता कुछ नहीं जानती, उसके सामने झूठ को प्रभावी ढंग से समझाया जाय, तो वह उसे सच मान लेती है। भारत की राजनीति में इन दिनों प्रचलित केजरीवाल शैली का कांग्रेसी नेताओं पर खासा प्रभाव पड़ रहा है। केजरीवाल का राजनीतिक दर्शन कहता है कि जनता के बीच अपने प्रतिद्वंद्वी पर झूठे आरोप जोर-जोर से बोल कर लगाओ, जनता झूठ को सच मान लेगी। बात का बतंगड़ करों। अनावश्यक विवाद पैदा करों। जनता के बीच कर्इ तरह की भ्रांतियां फैलाओं, जिससे जनता आपके विरोधी से चिढ़ जायेगी और वह थक हार कर आपकी शरण में आ जायेगी।

केजरीवाल मोदी सरकार के विरुद्ध दिल्ली में नौटंकियां कर रहे है और कांग्रेसी नेता केजरीवाल बन पूरे देश में मोदी सरकार के विरुद्ध दुष्प्रचार कर रहे है। लगता है दोनो मिल कर राजनीतिक चालें चल रहे हैं। किस को कितनी सफलता मिलती है यह तो भविष्य ही बताएगा, किन्तु यह हकीकत है कि झूठ के पांव ज्यादा लम्बे नहीं होते। सच की जीत होती है। झूठ की हार होती है। झूठ की बुनियाद पर खड़ी की गर्इ राजनीति की दीवार एक दिन भरभरा कर गिर जायेगी।

अगर आप सहमत है तो इस सचाई "शेयर " कर के उजागर करे।

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