Wednesday 20 May 2015

!! कुरान का काला सच !!



इस्लाम का सबसे महत्वपूर्ण मिशन पूरे विश्व को दारुल इस्लाम बनाना है। कुरान, हदीस, हिदाया, सीरतुन्नबी इस्लाम के बुनयादी ग्रन्थ है.इन सभी ग्रंथों में मुसलमानों को दूसरे धर्म वालो के साथ क्रूरतम बर्ताव करके उनके सामने सिर्फ़ इस्लाम स्वीकार करना अथवा म्रत्यु दो ही विचार रखने होते है। इस्लाम में लूट प्रसाद के रूप में वितरण की जाती है...

मानव एकता और भाईचारे के विपरीत कुरान का मूल तत्व और लक्ष्य इस्लामी एकता व इस्लामी भाईचारा है. गैर मुसलमानों के साथ मित्रता रखना कुरान में मना है. कुरान मुसलमानों को दूसरे धर्मो के विरूद्ध शत्रुता रखने का निर्देश देती है । कुरान के अनुसार जब कभी जिहाद हो ,तब गैर मुस्लिमों को देखते ही मार डालना चाहिए।
कुरान में मुसलमानों को केवल मुसलमानों से मित्रता करने का आदेश है। सुरा ३ की आयत ११८ में लिखा है कि, "अपने (मजहब) के लोगो के अतिरिक्त किन्ही भी लोगो से मित्रता मत करो। "
लगभग यही बात सुरा ३ कि आयत २७ में भी कही गई है, "इमां वाले मुसलमानों को छोड़कर किसी भी काफिर से मित्रता न करे। "
सन १९८४ में हिंदू महासभा के दो कार्यकर्ताओं ने कुरान की २४ आयातों का एक पत्रक छपवाया । उस पत्रक को छपवाने पर उनको गिरफ्तार कर लिया गया। परन्तु तुंरत ही कोर्ट ने उनको रिहा कर दिया। कोर्ट ने फ़ैसला दिया,"कुरान मजीद का आदर करते हुए इन आयतों के सूक्ष्म अध्यन से पता चलता है की ये आयते मुसलमानों को गैर मुसलमानों के प्रति द्वेषभावना भड़काती है............."उन्ही आयतों में से कुछ आयतें निम्न है.....

सुरा ९ आयत ५ में लिखा है,......."फ़िर जब पवित्र महीने बीत जायें तो मुशरिकों (मूर्ती पूजक) को जहाँ कहीं पाओ कत्ल करो और उन्हें pakdo व घेरो और हर घाट की जगह उनकी ताक में बैठो। यदि वे तोबा करले ,नमाज कायम करे,और जकात दे तो उनका रास्ता छोड़ दो। निसंदेह अल्लाह बड़ा छमाशील और दया करने वाला है। "

सुरा ९ की आयत २३ में लिखा है कि, "हे इमां वालो अपने पिता व भाइयों को अपना मित्र न बनाओ ,यदि वे इमां कि अपेक्षा कुफ्र को पसंद करें ,और तुमसे जो मित्रता का नाता जोडेगा तो ऐसे ही लोग जालिम होंगे। "
इस आयत में नव प्रवेशी मुसलमानों को साफ आदेश है कि,जब कोई व्यक्ति मुस्लमान बने तो वह अपने माता , पिता, भाई सभी से सम्बन्ध समाप्त कर ले।

सुरा ४ की आयत  ..........."जिन लोगो ने हमारी आयतों से इंकार किया उन्हें हम अग्नि में झोंक देगे। जब उनकी खाले पक जाएँगी ,तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रसा-स्वादन कर लें। निसंदेह अल्लाह ने प्रभुत्वशाली तत्व दर्शाया है।"

सुरा ३२ की आयत २२ में लिखा है "और उनसे बढकर जालिम कोन होगा जिसे उसके रब की आयतों के द्वारा चेताया जाए और फ़िर भी वह उनसे मुँह फेर ले।निश्चय ही ऐसे अप्राधिओं से हमे बदला लेना है। "

सुरा ९ ,आयत १२३ में लिखा है की," हे इमां वालों ,उन काफिरों से लड़ो जो तुम्हारे आस पास है,और चाहिए कि वो तुममे शक्ति पायें।"

सुरा २ कि आयत १९३ ............"उनके विरूद्ध जब तक लड़ते रहो, जब तक मूर्ती पूजा समाप्त न हो जाए और अल्लाह का मजहब(इस्लाम) सब पर हावी न हो जाए. "

सूरा २६ आयत ९४ ..................."तो वे गुमराह (बुत व बुतपरस्त) औन्धे मुँह दोजख (नरक) की आग में डाल दिए जायंगे."

सूरा ९ ,आयत २८ ......................."हे इमां वालों (मुसलमानों) मुशरिक (मूर्ती पूजक) नापाक है। "
गैर मुसलमानों को समाप्त करने के बाद उनकी संपत्ति ,उनकी औरतों ,उनके बच्चों का क्या किया जाए ? उसके बारे में कुरान ,मुसलमानों को उसे अल्लाह का उपहार समझ कर उसका भोग करना चाहिए।
सूरा ४८ ,आयत २० में कहा गया है ,....."यह लूट अल्लाह ने दी है। "
सूरा ८, आयत ६९..........."उन अच्छी चीजो का जिन्हें तुमने युद्ध करके प्राप्त किया है,पूरा भोग करो। "
सूरा १४ ,आयत १३ ............"हम मूर्ती पूजकों को नष्ट कर देंगे और तुम्हे उनके मकानों और जमीनों पर रहने देंगे।"

सूरा ४ ,आयत २४.............."विवाहित औरतों के साथ विवाह हराम है , परन्तु युद्ध में माले-गनीमत के रूप में प्राप्त की गई औरतें तो तुम्हारी गुलाम है ,उनके साथ विवाह(बलात्कार) करना जायज है। "



अगर आप सहमत है तो इस सचाई "शेयर " कर के उजागर करे।


91 comments:

  1. are murkh tune kuraan padha b h kya kabhi? kuraan me likhi bato ka jo tune arth bataya h. woh puri tarah galat h. aur ye bat isko siddha karti h k tune kabhi kuraan padhi hi nahin. aadhe adhure gyan se itna bada zut bolna yahi teri sanskuti h.

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    1. Pado yahaan bhi, khud molanaon ney likha hey : www.quran.com

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    3. Bilkul hai jabhi to kuran ko jalaya gya hai bahut si countries mein ayete pado net par

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    4. Haraami kutta Tau pe jehi kaam h jhooti apwaah failaa rha h mujhse poochh ye Mera number h 7451905207 kuran me bahut acchi baaten h kuran Shariff sachhi h too haraami ko pilla h aisi apwaah failaa rha h

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    5. तुम्हारे अल्लाह कुरान मुहम्मद आइशा फातिमा नवी इन सब की माँ की चुद

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    6. Tere mammy ne kabhi gand marwai h ki n

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    7. अबे मादरचोद तुम जैसे हिजड़े हिन्दुओं से मीठी बाते करते हो और फिर बोलते हो की कुरान में ऐसा कुछ भी नहीं है और भोला भाले हिन्दू तुम रण्डी के बच्चे जो इस्लाम में पैदा होते हो उस भोले भाले हिन्दू को धोखा देट हो

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    8. Bhosdike sahi to likkha hai maine bhi padhi hai kuran ye sahi likkha hai madarchod

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    9. Bhagwan Shree Krishna ji ne kaha tha "NA TASMAYI PRATIMA ASTI" arthat Mere siva koi bhagwan nahi nahi hai ....Jo mera ek bar bhi sachhe Mann se smaran kar leta hai... Vo pavitra Aatmayen baikunth dham me jati hai...aur moksh ko prapt hoti hai..
      Tatha jo mujhme nahi maanta... Aur kisi pakhand ko apnata hai.....vo nark me saja bhogta hai aur moksh ko prapt nahi kar pata atha jivan maran ke chakr me phansa rahta hai... 🙏🙏

      Bhagwan ne yeh bhi kaha tha...ki Kaliyug me paap bohot badh jayega...aur sab apne aapki puja karwane ke liye tarah tarah ke adambar karenge...alag alag jhoothe Majhub bann jayenge...Mujhe (Bhagwan) na mankar Saitaan ki puja karenge...Aisa karne wale Kaliyugi Narak ki aag me jalenge...aur Kaliyug jab aapne Charam pe hoga to Un sabhi Papiyo ka naash karne ke liye me Ek bar Fir Avtaar lunga...
      Isliye Aap sabhi Bhagwan ki Sharan me Aa jao...
      Juthi kahaniyon pe vishwas na karo...jo kisi Manushya dwara hi gadhi gayi hai .....
      Jai Shree Krishna 🚩🚩🚩🙏🙏🙏

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  2. yadi ye bate kuran m nahi h to jisne bhi ye jhut failane ki kosis ki h. veh insaniyat ka bada dusman h.

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    1. ये सब बाते कुरआन में हैं... �� और आप लोग बिना पढ़े कैसे यकीं कर लेते हैं कुरआन में ऐसा कुछ नहीं हैं..... महेंद्र पाल आर्य वे खुद एक मौलाना (मुस्लिम) थे जिन्होंने इस्लाम त्याग आर्य समाजी बने...����

      तस्लीमा नासरीन और तारेक फ़तेह जैसे लोगो ने इस्लाम को मानवताविरोधी बताया हैं...����

      एक लड़की ने भी इस्लाम छोड़ा हैं वप यापानी पेज चलाती हैं....

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    2. आपको दलील, ref और वीडियो के साथ यहाँ इस्लाम और कुरआन की हैवानियत के बारे में सच्चाई दिखाई जाएगा...👍👍 ईस पेज को चलाने वाले का नाम हिना खान हैं...👍👍

      तरस आता हैं आपलोग इंसान हैं या कुछ और... इतने जुल्म किये इस्लाम ने केवल कुरआन के चक्कर में और अब भी बोको हराम, isis वाले 100 से भी ऊपर इस्लामिक संगठन लोगों पर जुल्म कर रहे हैं... सारी दुनिया इस्लाम पे थूक रही हैं.. बस आप लोग पता नाहीँ किस दुनिया में रहते हो.. कोई सच्चाई दिखाता हैं तो आप उसपे विश्वास नहीं करती.. 👍👍 तस्लीमा और तारेक और जैसे जो खुद मुसलमान हैं वो सैकड़ों प्रमाण के जरिये इस्लाम को नीच बाताया।

      https://www.facebook.com/islamparcharcha/

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  3. akhir puri dunia mei islam ke name par itne atankvadi kyo ban rahe hai , aj puri dunia mei 253 aise sanghatan hai jo islam ke name pe atank faila rahe hai aur unhe united nations ne ban kia hua hai , dunia mei aur bhi to dharm hai lekin kisi bhi dharm ke log itni badi sankhaya mei atanvadi nahi ban rahe...

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    1. अधिकतर मुसलमान रूढ़िवादी और आतंकवादी क्यों होते हैं?

      धर्म या विश्व-राजनीति से संबंधित चर्चाओं में यह प्रश्न प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मुसलमानों पर उछाला जाता है। मीडिया के किसी भी साधनों में मुसलमानों को बख़्शा नहीं जाता और इस्लाम तथा मुसलमानों के संबंध में बड़े पैमाने पर ग़लतफहमियाँ फैलाई जाती हैं,उन्हें कट्टरवादी के रूप में दर्शाया जाता है। वास्तव में ऐसी ग़लत जानकारियाँ और झूठे प्रचार अकसर मुसलमानों के विरुद्ध हिंसा और पक्षपात का कारण बनते हैं। इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण अमेरिकी मीडिया द्वारा मुसलमानों के विरुद्ध चलाई जाने वाली मुहिम है जो ओकलाहोमा बम धमाके के बाद चलाई गई। प्रेस ने तुरंत यह एलान कर दिया कि इस धमाके के पीछे ‘मध्य पूर्वी षडयंत्र’ काम कर रहा है। बाद में अमेरिकी सेना का एक जवान इस कांड में दोषी पाया गया।

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    2. Tum logone terrorist ko ignored karne ki vajah se aur fail raha hai, Talibaan, ISIS, Boko Haram, Lashkare Taiyyaba, Pakistan Ke Abtadabad me Laden ko chupa ke rakha tha aur Hafij aur anginat terrorist ko panah di daud bhi wahi hai.

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  4. अगर यह बात सच है तो यह मानवता और अन्य धर्मों के लिए एक बहुत बड़ा संकट है

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    1. ये बात बिलकुल ग़लत है ।क़ुरान में बर्बरता कही नहीं है ।यहाँ पर बातों को उलट फेर कर पेश किया गया है ।इस्लाम भाईचारे का धर्म है
      ।यहाँ पुरी बात न कह कर बातों को बीच से कहा गया है

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    2. Jhoot mat bolo. Mainey khud padi hein kai bhasha mey. Arab key molana sey lekar India key, sab yahi boltey hein.

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    3. यह बात सच है और बिल्कुल सच है सौ पर्सेंट सच है और आगे सब जानना है तो हारीस सुल्तान जफर हेरिटेक और ग़ालिब कमाल के वीडियो देखिए मोहम्मद और कुरान का काला चिट्ठा सामने आ जाएगा

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  5. 5. एक व्यक्ति को एक ही कार्य के लिए दो भिन्न उपाधियाँ ‘‘आतंकवादी’’ और ‘‘देशभक्त’’

    भारत की ब्रिटिश शासन से आज़ादी के पूर्व कुछ क्रांतिकारियों को, जो कि अहिंसा के पक्ष में नहीं थे ब्रिटिश सरकार ने आतंकवादी कहा। उन्हीं व्यक्तियों की भारतवासियों ने प्रशंसा की और उन्हें ‘‘देशभक्त’’ कहा। इस प्रकार एक व्यक्ति को एक ही कार्य के लिए दो भिन्न उपाधि दी गई। एक उसको देशभक्त कह रहा था तो दूसरा आतंकवादी। जिन लोगों ने भारत पर ब्रिटिश शासन को उचित माना, क्रांतिकारियों को आतंकवादी कहा, जबकि दूसरे वे लोग जो समझते थे कि ब्रिटिश को भारत पर शासन करने का कोई अधिकार नहीं है उन्होंने क्रांतिकारियों को देशभक्त एवं स्वतंत्रता सेनानी का नाम दिया। अतः यह महत्वपूर्ण है कि एक व्यक्ति के प्रति फै़सला करने से पूर्व उसकी पूरी बात सुनी जाए। दोनों पक्षों के तर्कों को सुना जाए, स्थिति का जायज़ा लिया जाए, कारण और उद्देश्य पर विचार किया जाए और तब उसके अनुसार किसी पक्ष के प्रति उचित फै़सला किया जाए।

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  6. Ye islam ka asli chehra hai iske liye kisi tarah ka proof dene ki jarurat nhi hai.

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    1. Brother aap islam ke baare main kya jante hai islam ke matalab hi peace( shaanti) hota hai aur rahi baat jabardasti dharm kabool karaane ki to ye bilkul galat hai kyounki allah farmate hai quraan mazeed main surah baqrah Chapter 2 verse 256 main deen ke maamle me koi jabardasti nahi hai to brother jab allah hi kahta hai ki deen ke maamle me koi jabardasti nahi to phir hum kaise deen ke maamale me jabardasti kar sakte hai

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  7. Its all correct. Quran is training book for terrorism, rape, women enslaving, racisn.. I have read number of language/versions. English www.quran.com

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  8. Mere dosto aur azeez bhai loago hame agar musalman ko dekhana h toh hamko Islam ko janna hoga aur uske liye Quran ko shuru se padhna hoga uske meaning ke sath aur jo meaning ho usko dusari kitab yani jisme uska khulasa ho full grammar kahte h wo kitab bhi ho aur ye Quran ek din aur ek raat aur ek waqt pr nhi utra h isko utarne me kai din aur saal lage h har aayat alag alag jagah pr aur alag alag halat pr utri h isliye kuch bhi kahne aur dusare ki baat pr yaqeen karne se pehle zaroor uski sahi se malumat lena zaroori h fir aap khud hi faisala karna kya sahi h aur agar aapko lagta h ye Islam mazhab khud ke hatho se likha hua hota toh aaj iske rule aur isko logo ne badal diya hota isliye Quran ko full grammar ke sath aur ek ek line ko padho aur kisi bade aalim jo bada jaankar hi quran ka usse maloom karo kal kahi aisa na ho ki ham apne dost aur dusaro ki nazro me galat sabit ho jaye please check karo mere azeez bhai log..

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    1. Bhag chutiyaap kaun padega zahilpana

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    2. Gandu Islam ko meaning k saath padkar hi bataya gaya inn hai yaha par or agar in sab batee Quran par nehi hona chahiye to sab kuch mitake k naya Quran kiyun nehi banate hai,jab Quran ayaa tab k liye ye sab likkha gaya abb iska jaroorat nehi hai bolke sab muslim scholars ko leke Quran ko update karo.

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    3. Beta tere maa ki chut randiwale khuda ka khasta banta h musalman peace h saale hindu 0eace h itihas utha bdsk

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  9. Mere dosto aur azeez bhai loago hame agar musalman ko dekhana h toh hamko Islam ko janna hoga aur uske liye Quran ko shuru se padhna hoga uske meaning ke sath aur jo meaning ho usko dusari kitab yani jisme uska khulasa ho full grammar kahte h wo kitab bhi ho aur ye Quran ek din aur ek raat aur ek waqt pr nhi utra h isko utarne me kai din aur saal lage h har aayat alag alag jagah pr aur alag alag halat pr utri h isliye kuch bhi kahne aur dusare ki baat pr yaqeen karne se pehle zaroor uski sahi se malumat lena zaroori h fir aap khud hi faisala karna kya sahi h aur agar aapko lagta h ye Islam mazhab khud ke hatho se likha hua hota toh aaj iske rule aur isko logo ne badal diya hota isliye Quran ko full grammar ke sath aur ek ek line ko padho aur kisi bade aalim jo bada jaankar hi quran ka usse maloom karo kal kahi aisa na ho ki ham apne dost aur dusaro ki nazro me galat sabit ho jaye please check karo mere azeez bhai log..

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    1. Mere Aziz bhai kya AAP ye mante hai ki aaurat eek khet hai uusko jaise chahe joto kya AAP ye mante hai ki do aaurato ki gawahi eek mard ki gawahi ke Barabar hogi aaur kya AAP mante hai ki llut ka saman jisme aaurat bhi Shamil ho uusko man mutabik balatkar Kiya ja Sakta hai

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    2. Bhai ye khud ki gdhi hui baate apne jaise logo ko btaya kro jo tmharii baat ko sahi btay...class 3rd ki knowledge leke class 10 ke question solve krne chlte ho...kahi se uthaya kux v lake paste kr diya...

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    3. World me sbse jyada Muslims hai agr quran teri soch ki trh hoti ya kux galat sikhati na to muslim arab me hote bs puri duniya me nahi duniya me sabse jyada dusre dhrm se islam apnate hai...behuda gyan leke chle aate hai..

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    4. तो आप सभी मुस्लिम भइओ से अनुरोद है इस पेज में लिखने वाले के खिलाफ मानहानि का दावा करो ताकि इसको सबक सिखया ज सके

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    5. Galat bat duniya me sabse Jada Christian h

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  10. vah 24 ayate hamne likhi hai batlaiye isme kaunsi baat galat likhi hai kuran to mul ki bhul hai

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  11. Are bewkoof surah 9 me 5th ayat ke pehle 3rd 2nd 1st ayat hai won pehle pad aur yeh ayat us time prophet ke time par us situation ke liye tha samja kya

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  12. Surah 9 aur ayat 23 we malum hota hai ki Allah kitna nyay wala hai MATLAB kitna best of judges hai. Duniya me log partiality karte hai agar job me apne rishtedar ko lagate hai lekin Allah be abhi tak aide kam kiya Jo koi insane nahi kar sakte jaise hamare ek nabi Ibrahim alaihsalam ke Abba ko nahi baksha Jo apne prophet aur apne bete Ibrahim alaihsalam ki bat nahi sune. Doosre nabi ka kiss a suno nuh alaihsalam ke bete be nuh alaihsalam ki bat nahi Mani toh Allah ne usko dubo diya doosre kafiron ke sath. Toh issue malum hota hai ki Allah rishtedari ko preference nahi deta sirf kalma ana chahiye isliye is ayat me Allah bol raha hai ki agar maa baap kafir hai toh Allah ka hukoom pehle mano aur agar maa baap namaz nahi padnr dete toh aise maa baap ko chod do. So Allah is best of judges.

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  13. Are bewkoof surah 9 me 5th ayat ke pehle 3rd 2nd 1st ayat hai won pehle pad aur yeh ayat us time prophet ke time par us situation ke liye tha samja kya

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  14. अगर मुसल्मानो मै कट्टरता नहि,पृथक्ता नहि,दुसरे धर्मके प्रती सम्मान है तो ये बताओ हिन्दु मुसल्मानो का प्रसाद फातिया,सेवैय्या,बिर्यानी भाइचारा के नाते तो खा लेते है लेकिन हिन्दुवो का प्रसाद वे छुना भि पाप मानते है ऐसा क्यो?
    सारे आतन्क्वादी मुसल्मान नहि होते लेकिन सभी आतंकबादी मुसल्मान हि क्युहै?
    अगर कुरान मे ऐसि वैसी बाते नहि है तो कुरान कि चर्चा क्यु नहि कर्ते मुसल्मान लोग?
    महाभारत मे भाइ भाइ लडके मरगये केह कर खुब हसि उडाते है लेकिन हसन हुसेनको खुद अपने कौम के लोगो ने मारा इस्पे सान्प सुँघ जाता है।खलिफा के पद के लिये अबु बकर और खदिजा के लोग दो खेमे मे रेह्कर लडते रहे इस्कि चर्चा भि होति तो मुसल्मान भाइ महभारत के किस्से भुल जाते।
    अन्तिम खलिफा को भि एक मुसल्मान हि ने मारा था।

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  15. Maine Quran pdhi hai, sb aayate sahi hai.. Jhuth bol rhe musalmaan ki Quran me hinsaa nhi hai

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  16. Are bewakufo jab kuran ke bare mai kuch pata hi nahi hai to kyon bakwas karte ho pehle Islam ke bare mai jano padho insha Allah mujhe puri ummeed hai tum bhi Islam apna lo ge

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    1. Mil gye bhai aap aap hi ko doondh raha tha

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  17. Are bewakufo jab kuran ke bare mai kuch pata hi nahi hai to kyon bakwas karte ho pehle Islam ke bare mai jano padho insha Allah mujhe puri ummeed hai tum bhi Islam apna lo ge

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  18. इस्लाम को आंतकवादी बोलते हो। जापान मे तो अमेरिका ने परमाणु बम गिराया लाखो बेगुनाह मारे गये तो क्या अमेरिका आंतकवादी नही है। प्रथम विश्व युध्द मे करोडो लोग मारे गये इनको मारने मे भी कोई मुस्लिम नही था। तो क्या अब भी मुस्लिम आंतकवादी है। दूसरे विश्व युध्द मे भी लाखो करोडो निर्दोषो की जान गयी इनको मारने मे भी कोई मुस्लिम नही था। तो क्या मुस्लिम अब भी आंतकवादी हुए अगर नही तो फिर तुम इस्लाम को आंतकवादी बोलते कैसे हो। बेशक इस्लाम शान्ति का मज़हब है।और हाॅ कुछ हदीस ज़ईफ होती है।ज़ईफ हदीस उनको कहते है जो ईसाइ और यहूदियो ने गढी है। जैसे मुहम्मद साहब ने 9 साल की लडकी से निकाह किया ये ज़ईफ हदीस है। आयशा की उम्र 19 साल थी। ये उलमाओ ने साबित कर दिया है। क्योकि आयशा की बडी बहन आसमा आयशा से 10 साल बडी थी और आसमा का इंतकाल 100 वर्ष की आयु मे 73 हिज़री को हुआ। 100 मे से 73 घटाओ तो 27 साल हुए।आसमा से आयशा 10 साल छोटी थी तो 27-10=17 साल की हुई आयशा और आप सल्ललाहु अलैही वसल्लम ने आयशा से 2 हिज़री को निकाह किया।अब 17+2=19 साल हुए। इस तरह शादी के वक्त आयशा की उम्र 19 आप सल्ललाहु अलैही वसल्लम की 40 साल थी इन हिन्दुओ का इतिहास द्रोपती ने 5 पांडवो से शादी की क्या ये गलत नही है हम मुसलमान तो 11 औरते से शादी कर सकते है ऐसी औरते जो विधवा हो बेसहारा हो। लेकिन क्या द्रोपती सेक्स की भूखी थी। और शिव की पत्नी पार्वती ने एक लडके को जन्म दिया शिव की गैरमूजदगी मे। पार्वती ने फिर किसकी साथ सेक्स किया ।इसलिए शिव ने उस लडके की गर्दन काट दी क्या भगवान हत्या करता है ।श्री कृष्ण गोपियो नहाते हुए क्यो देखता था और उनके कपडे चुराता था जबकि कृष्ण तो भगवान था क्या भगवान ऐसा गंदा काम कर सकता है । महाभारत मे लिखा है कृष्ण की 16108 बीविया थी तो फिर हम मुस्लिमो एक से अधिक शादी करने पर बुरा कहा जाता । महाभारत युध्द मे जब अर्जुन हथियार डाल देता तो क्यो कृष्ण ये कहते है ऐ अर्जुन क्या तुम नपुंसक हो गये हो लडो अगर तुम लडते लडते मरे तो स्वर्ग को जाओगे और अगर जीत गये तो दुनिया का सुख मिलेगा। तो फिर हम मुस्लिमो को क्यो बुरा कहा जाता है हम जिहाद बुराई के खिलाफ लडते है अत्यचारियो और आक्रमणकारियो के विरूध वो अलग बात है कुछ मुस्लिम जिहाद के नाम पर बेगुनाहो को मारते है और जो ऐसा करते है वे मुस्लिम नही हैक्योकी आल्लाह पाक कुरान मे कहते है एक बेगुनाह का कत्ल सारी इंसानयत का कत्ल है। और सीता की बात करू तो राम तो भगवान थे क्या उनमे इतनी भी शक्ति नही कि वे सीता के अपहरण को रोक सके जब राम भगवान थे तो रावण की नाभि मे अमृत है ये उनको पहले से ही क्यो नही पता था रावण के भाई ने बताया तब पता चला। क्या तुम्हारे भगवान राम को कुछ पता ही नही कैसा भगवान है ये।और सीता को घर से बाहर निकाल दिया गया था तो लव कुश कहा से आये किससे सेक्स किया सीता ने बताओ।और इन्द्र देवता ने साधु का वेश धारण कर अपनी पुत्रवधु का बलात्कार किया फिर भी आप देवता क्यो मानते हो। खुजराहो के मन्दिर मे सेक्सी मानव मूर्तिया है क्या मन्दिर मे सेक्स की शिक्षा दी जाती है मन्दिरो मे नाच गाना डीजे आम है क्या ईश्वर की इबादत की जगह गाने हराम नही है ।राम ने हिरण का शिकार क्यो किया बहुत से हिन्दु कहते है हिरण मे राक्षस था तो क्या आपके राम भगवान मे हिरण और राक्षस को अलग करने की क्षमता नही थी ये कैसा भगवान है।हमे कहते हो जीव हत्या पाप है मै भी मानता हू कुत्ते के बेवजह मारना पाप है ।कीडी मकोडो को मारना पाप है पक्षियो को मारना पाप है। लेकिन ऐसे जानवर जिनका कुरान मे खाना का जिक्र है खा सकते है क्योकि मुर्गे कटडे बकरे नही खाऐगे तो इनकी जनसख्या इतनी हो जायेगी बाढ आ जायेगी इन जानवरो की। सारा जंगल का चारा ये खा जाया करेगे फिर इन्सान के लिए क्या बचेगा। हर घर मे कटडे बकरे होगे। बताओ अगर हर घर मे भैंसे मुर्गे होगे तो दुनिया कैसे चल पाऐगी। आए दिन सिर्फ हिन्दुस्तान मे लाखो मुर्गे और हजारो कटडे काटे जाते है । 70% लोग मांस खाकर पेट भरते है । सब को शाकाहारी भोजन दिया जाये तो महॅगाई कितनी हो जाएगी। समुद्री तट पर 90% लोग मछली खाकर पेट भरते है। समझ मे आया कुछ शाकाहारी भोजन खाने वालो मांस को गलत कहने वाले हिन्दुओ अक्ल का इस्तमाल करो

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    1. अगर आपका इस्लाम इतना अच्छा होगा अब तक दुनिया अपना लेती प्रचार करने की जरूरत नहीं पडती

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    2. Apnaya na...
      Duniya ka koe Kona nhi...m
      Jha eske manne vale na ho..

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    3. अगर कुरान की सच्चाई जाननी है तो इन मुसलमानों से जानकारी आपको सारी जानकारी सही-सही मिल जाएगी प्लीज प्लीज प्लीज जरूर देखें इनके वीडियो हिंदू और मुसलमान दोनों 1गालिब कमाल 2 हारीस सुल्तान 3 जफर हेरिटेज इनकी वीडियो देखें आपकी आंखें खुल जाएगी जरूर जरूर जरूर देखें मेरे भाइयों

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  19. हिन्दु धर्म मे शिव भगवान ही नसेडी है तो उसके कावडिया भी नसेडी। जितने त्योहार है हिन्दुओ के सब बकवास।होली को लेलो मानते है भाईचारे का त्योहार होली पर शराब पिलाकर एक दुसरे से दुश्मनी निकाली जाती है।होली से अगले दिन अखबार कम से कम 100 लोगो के मरने की पुष्टि करता है ।अब दीपावली को देखलो कितना प्रदुषण बुड्डे बीमार बुजुर्गो की मोत होती है। पटाखो के प्रदुषण से नयी नयी बीमारिया ऊतपन होती है। गणेशचतुर्थी के दिन पलास्टर ऑफ पेरिस नामक जहरीले मिट्टी से बनी करोडो मूर्तिया गंगा नदियो मे बह दी जाती है। पानी दूषित हो जाता है साथ ही साथ करोडो मछलिया मरती है तब कहा चली जाती है इनकी अक्ल जीव हत्या तो पाप हैहम मुस्लिमो को बोलते है चचेरी मुमेरी फुफेरी मुसेरी बहन से शादी कर लेते हो। इन चूतियाओ से पूछो बहन की परिभाषा क्या होती है मै बताता हू साइंस के अनुसार एक योनि से निकले इन्सान ही भाई बहन हो सकते है और कोई नही। तुम भाई बहन के चक्कर मे रह जाओ इसलिए हिन्दु लडको की शादिया भी नही होती अक्सर । हमारे बनत नाम के गाव मे 300 जाट के लडके रण्डवे है शादी नही होती फिर उनका सेक्स का मन करता है वे फिर लडकियो महिलाओ की साथ बलात्कार करते है ये है हिन्दु धर्म । और सबूत हिन्दुस्तान मे अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा रेप होते है । किसी मुस्लिम मुल्क का नाम दिखा दो या बता दो बता ही नही सकते। तुम्हारे हिन्दुओ लडकियो को कपडे पहनने की तमीज नही फिटिंग के कपडे छोटे कपडे जीन्स टीशर्ट आदि पहननती है ।भाई बाप के सामने भी शर्म नही आती तुमको ऐसे कपडो मे थू ऐसे कपडो मे को देखकर तो सभी इन्सानो की ऑटोमेटिकली नीयत खराब हो जाती है इसलिए हिन्दु और अंग्रेजी लडकियो की साथ बलात्कार होते हे इसके लिए ये लडकिया खुद जिम्मेदार है।।और हिन्दु लडकियो के हाथ मे सरे आम इंटरनेट वाला मोबाइल उसमे इतनी गंदी चीजे थू और लडकियो को पढाते इतने ज्यादा है जो उसकी शादी भी ना हो पढी लिखी को स्वीकार कौन करता है जल्दी से पढने का तो नाम है घरवालो के पैसे बरबाद करती है और लडको की साथ अय्याशी करती है उन बेचारो का टाइम वेस्ट। इन चूतियाओ से पूछो लडकि इतना ज्यादा पढकर क्या करेगी।मर्द उनके जनखे हो जो औरत कमाऐगी मर्द बैठकर खाऐगे।सही कहू तो मर्दो की नौकरिया खराब करती है जहा मर्द 20000 हजार रूपये महीने की माॅग करे वहा लडकिया 2000 मे ही तैय्यार हो जाती हैबहुत हिन्दु गर्व के साथ कहते है कि हमारी गीता मे लिखा है कि ईश्वर कण कण मे विध्मान है ।सब चीजे मे है इसलिए हम पत्थरो को पूजते है और भी बहुत सारी चीजो को पूजते है etc. लेकिन मै कहूगा इनकी ये सोच बिल्कुल गलत है क्योकि अगर कण कण मे भगवान है तो क्या गू गोबर मे भी है आपका भगवान। जबकि भगवान या खुदा तो पाक साफ है तो कण कण मे कहा से विध्मान हुआ भगवान। इसलिए मै आपसे कहना चाहता हू भगवान हर चीज मै नही है बल्कि हर चीज उसकी है और वो एक है इसलिए पूजा पाठ मूर्ति चित्र सब गलत है कुरान अल्लाह की किताब है इसके बताये गये रास्ते पर चलो। सबूत भी है क्योकि कुरान की आयते पढकर हम भूत प्रेत बुरी आत्माओ राक्षसो से छुटकारा पाते है।हमारी मस्जिद मे बहुत हिन्दु आते है ईलाज करवाने के लिए । और मौलवी कुरान की आयते पढकर ही सभी को ठीक करते है । इसलिए कुरान अल्लाह की किताब है । जबकि आप वेदो मंत्रो से दसरो को नुकसान पहुचा सकते है अच्छाई नही कर सकते किसी की और सभी भगत पंडित जादू टोना टोटके के अलावा करते ही क्या है। जबकि कुरान से अच्छाई के अलावा आप किसी के साथ बुरा कर ही नही सकते। इसलिए गैर मुस्लिमो कुरान पर ईमान लाओ।

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    1. अल्लाह ने कुर्बानी इब्रा‍हीम अलैय सलाम से उनके बेटे की मांगी थी जो की उनका इम्तिहान था, जिसे अल्लाह ने अपनी रीती से निभाया था. अब उसी लीकटी को पीटते हुए कुर्बानी की कुरीति चलाना कहाँ तक जायज है समझ में नहीं आता. अगर अल्लाह की राह में कुर्बानी ही करनी है तो पहले हजरत इब्राहीम की तरह अपनी संतान की बलि देने का उपक्रम करे फिर अल्लाह पर है की वह बन्दे की कुर्बानी कैसे क़ुबूल करता है.

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    2. चौदह सौ साल से कुराना(कुरान+ आ) वायरस एक वर्ग/ धर्म विशेष के दिमाग में इस कदर घुस चुका है कि वो न, मरता है और न निकलता है! ये वायरस जिसके दिमाग में घुस जाता है, उसकी जाने तो नहीं लेता लेकिन पागल जरूर बना देता है और स्वस्थ आदमी को देखकर ये वायरस उसे भी अपनी तरह पागल बनाये मे जी जान लगा देता है! वैसे इसकी कोई वैक्सीन अभी तक नहीं बन पायी है लेकिन चीन ने इसका कुछ इलाज ढूंढ लिया है! वो ईलाज कुराना वायरस का खात्मा तो नहीं कर सकता, लेकिन नियंत्रण मे रखता हैं! चीन का ये सफल प्रयोग शिक्या गं(शिन्जीयांग) प्रांन्त में देखने को मिला है! बस वायरस की खाद पानी सप्लाई रोक दी जाये, और इस पर किसी तरह की पाबंदी लगा दी जाये, तो यह बेबस हो जाता है,! इसे डिटेंशन कैम्प में रखना भी लाभदायक है , जैसा उईगर वायरस ग्रस्त रोगियों को रखा गया है!
      "आशा है कि दुनिया चीन से सबक लेगी, और लेनी भी चाहिये! भारत को तो सबक लेने की सख्त आवश्यकता है क्योंकि,,,कुराना वायरस से सर्वाधिक पीड़ित देश भारत ही है और इस वायरस में अनवरत वृद्धि होती जा रही है!

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    3. उपर्युक्त कथन

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    4. Bhagwan Shree Krishna ji ne kaha tha "NA TASMAYI PRATIMA ASTI" arthat Mere siva koi bhagwan nahi nahi hai ....Jo mera ek bar bhi sachhe Mann se smaran kar leta hai... Vo pavitra Aatmayen baikunth dham me jati hai...aur moksh ko prapt hoti hai..
      Tatha jo mujhme nahi maanta... Aur kisi pakhand ko apnata hai.....vo nark me saja bhogta hai aur moksh ko prapt nahi kar pata atha jivan maran ke chakr me phansa rahta hai... ����

      Bhagwan ne yeh bhi kaha tha...ki Kaliyug me paap bohot badh jayega...aur sab apne aapki puja karwane ke liye tarah tarah ke adambar karenge...alag alag jhoothe Majhub bann jayenge...Mujhe (Bhagwan) na mankar Saitaan ki puja karenge...Aisa karne wale Kaliyugi Narak ki aag me jalenge...aur Kaliyug jab aapne Charam pe hoga to Un sabhi Papiyo ka naash karne ke liye me Ek bar Fir Avtaar lunga...
      Isliye Aap sabhi Bhagwan ki Sharan me Aa jao...
      Juthi kahaniyon pe vishwas na karo...jo kisi Manushya dwara hi gadhi gayi hai .....
      Jai Shree Krishna ������������

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    5. Tumhare pass Facts nahi hai...sirf Ulta seedha bol sakte ho...
      Kyonki tumhare Majhub me hi sab kuch aisa bhara pada hai...
      Sabse pahli baat Mohammad ne alla ko paida kiya 700AD me...usse phle koi nhi janta tha..
      Mohammad Gufa me rahta tha...khane pine ka jugaad tha nahi....
      Saaf Pani pine ko nahi milta tha...na fruits milte thhe...bhukmari bohot thi...to jannat ko bataya ki saaf Pani ke jharne hai....jannat me..khane ko fruit milenge..jo ki sab India me hi mil jata hai 😂😂🤭🤭... tumhare Momo ko jannat ki Hava ka jhoka India se aata lagta tha. 😂😂😂
      Balatkar aur Lootpat...aur ek dusre ko Kaatna maarna yehi sab chalta tha...
      Tumhare Momo uncle ne...Ram Raheem ki tarah Sex slave banayi...
      6 Saal ki Ayesha ki lene ke liye Aayete hi bana Dali...taki koi use gali na de... 😂😂😂Aur maar na de...
      Age ka proof dekho Read kar sako to...

        حَدَّثَنَا مُعَلَّى بْنُ أَسَدٍ، حَدَّثَنَا وُهَيْبٌ، عَنْ هِشَامِ بْنِ عُرْوَةَ، عَنْ أَبِيهِ، عَنْ عَائِشَةَ، أَنَّ النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم تَزَوَّجَهَا وَهْىَ بِنْتُ سِتِّ سِنِينَ، وَبَنَى بِهَا وَهْىَ بِنْتُ تِسْعِ سِنِينَ‏.‏ قَالَ هِشَامٌ وَأُنْبِئْتُ أَنَّهَا كَانَتْ عِنْدَهُ تِسْعَ سِنِينَ‏.‏

      Tumhare Khalifa ek dusre ko katl karte rahe... Hussain ko bhi kaata Gaya...Ayesha bhi apne logo se hi ladi...
      Kitna peaceful Majhub hai 😂😂😂 wahh yarr... dharti ko Chapta maante ho tum log .. 🤭🤭 to sahi ka pata kaise chalega 😂😂
      Tum log bhi Momo uncle ki tarah apni 6-9 saal ki bachhi k hi upar chhad jate ho..
      Sharm karo...

      Apna Majhub hi gali ho to sachha Dharm...Jo Sanatan Dharm hai... Anaadi kaal se ....vo to bura lagegaa hi...
      Jalte raho... 😂😂😂

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  21. Kon ullo ka pattha hi jo kuran pak me likhi bate ko galat bataraha hi harami hi kon ye hota kon hi kuran ke bare me bolne wala

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  22. दो शब्द
    भारतीय इतिहास की यह विडम्बना है कि उसे कभी वास्तविकता के परिप्रेक्ष्य में शुद्ध ऐतिहासिक दृष्टिकोण से नहीं देखा गया। अंग्रेज़ों ने विजित राष्ट्र पर अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए ‘फूट डालो और राज्य करो' (Devide And Rule) की नीति के कारण इतिहास को विकृत किया और अपने पीछे ऐसी टोली छोड़ गए जो सिर्फ़ उन्हीं का राग नहीं अलापती बल्कि उनकी योजना को उसने और आगे बढ़ाया और विकसित किया।

    आज़ादी के बाद अंगे्रजों की नीति का अनुसरण करने में ही हमारे कुछ राजनैतिक और शैक्षिक विचारकों को भी अपना हित नज़र आया। राष्ट्रवाद के कुत्सित स्वार्थो की प्रेरणा से अपने विद्यालयों में इसी विकृत इतिहास के द्वारा नई पीढ़ी के दिशा-निर्देशन का कार्य आरंभ किया गया। उन्होंने समाज को तोड़ने के लिए इतिहास को द्वेष के बीज के रूप में प्रयोग किया जिससे समाज में एक जुट होकर मूल समस्या से संघर्ष करने की संगठित शक्ति बाक़ी न रहे। इस योजना को इतना सुचारू रूप से चलाया गया कि आज हर शहर और गाँव में नफ़रत और विद्वेष का ज़हर फैल गया है।

    अतः आज की स्थिति किसी अचानक दुर्घटना का परिणाम नहीं है, वरन् वर्षों के सुनियोजित प्रयास से सींचे गए विष-वृक्ष का अनुकूल फल है। इसके बिना उन ‘महारथियों' की स्वार्थरक्षा संभव नहीं।

    वास्तविकता यह है कि मध्यकालीन भारतीय साहित्य और इतिहास को ग़लत दिशा देने को जो काम हुआ है उसके कई धरातल और कई दिशाएं हैं। डा0 बी0.एन0. पाण्डेय जी का यह प्रयास उसके एक छोटे अंश पर प्रकाश डालता है। इस दिशा में कुछ अन्य विद्वानों के कार्य भी सराहनीय हैं जो इस असत्य के घोर अंधकार में सत्य का चिराग़ बनकर वास्तविकता को दर्शाते हैं।

    भारत के इतिहास का क्रमबद्ध संकलन सबसे पहले इलियट और डाउसन नामक दो अंग्रेज़ विद्वानों ने किया। सारी स्त्रोत-सामग्री में से घटनाओं को चुन-चुन कर उसे एक मनोवांछित दिशा देना और घटनाओं की व्याख्या करना उनकी मौलिकता रही। किन्तु उन्होंने पुस्तक का नाम दिया -‘The History of India as told by its own historians' (भारतीय इतिहास-भारतीय इतिहासकारों के कथनानुकूल)। उनकी निर्धारित की हुई दिशा में अन्य विद्वानों ने उस काम को आगे बढ़ाया। भारतीय विद्वानों में सर यदुनाथ सरकार और पं0 हरप्रसाद शास्त्री सरीखे विद्वानों ने उसमें चार चाँद लगाने का काम किया। ये लोग अंग्रेज़ों ने अनुचर ही नहीं उनके भक्त भी थे। ऐसे ही लोगों ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857) में भारतीयों के विरुद्ध अंग्रेज़ी सेना के सहयोग के लिए अपने विद्यालय को सैनिक बैरक में बदल दिया था।

    अंग्रेज़ों ने अपने सशक्त सहयोगियों के बल पर इतिहास को ग़लत दिशा पर डाल दिया। समय बीतने के साथ ही सदियों से आपसी सहयोग और भाईचारे के साथ एक जगह बसनेवाले दो समुदायों के बीच की खाई इतनी चैड़ी हो गई कि लाखों मनुष्यों के रक्तपात और देश-विभाजन के साथ अंग्रेज़ बहादुर को सलामी देकर विदा तो कर दिया गया, किन्तु द्वेष का ‘देवता' आज भी प्रतिष्ठित है। इस ‘देवता' को प्रसन्न रखने के लिए आज भी नर-बलि दी जा रही है, सैकड़ों गाँव और नगर हवन किए जा रहे है और रथ-यात्राएँ आयोजित की जा रही हैं।
    देश का संविधान और सारे तंत्र मुखौटा डाले परोक्ष या प्रत्यक्ष उस ‘देवता' का नमन कर रहे है। क्या मानवता उस देवता के सामने घुटने टेक देगी? कदापि नहीं, ऐसा इसलिए संभव नहीं कि समय की तेज़ धार अपने कमज़ोर आधारवाली चट्टान को बहुत दिनों तक टिकने नहीं देती। आशा है कि आदरणीय पाण्डेय द्वारा खोजे गये तथ्य ये युवा पीढ़ी को नया प्रकाश मिलेगा। उन्हीं के सबल हाथों से एक सुन्दर भारत का नव-निर्माण संभव है। प्रभु से प्रार्थना है कि इस पुस्तिका के प्रकाशन से यह आशा पूरी हो।

    प्रकाशक
    इतिहास के साथ यह अन्याय!!
    उड़ीसा के भूतपूर्व राज्यपाल, राज्यसभा के सदस्य और इतिहासकार प्रो0 विशम्भरनाथ पाण्डेय ने अपने अभिभाषण और लेखन में उन ऐतिहासिक तथ्यों और वृतान्तों को उजागार किया है, जिनसे भली-भाँति स्पष्ट हो जाता है कि इतिहास को मनमाने ढंग से तोड़ा-मरोड़ा गया है। उन्होंने कहा-

    ‘‘अब मैं कुछ ऐसे उदाहरण पेश करता हूँ, जिनसे यह स्पष्ट हो जायेगा कि ऐतिहासिक तथ्यों को कैसे विकृत किया जाता है।

    जब में इलाहाबाद में 1928 ई0 में टीपू सुल्तान के सम्बन्ध में रिसर्च कर रहा था, तो ऐंग्लों-बंगाली कालेज के छात्र-संगठन के कुछ पदाधिकारी मेरे पास आए और अपने ‘हिस्ट्री-एसोसिएशन' का उद्घाटन करने के लिए मुझको आमंत्रित किया। ये लोग कालेज से सीधे मेरे पास आए थे। उनके हाथो में कोर्स की किताबें भी थीं, संयोगवश मेरी निगाह उनकी इतिहास की किताब पर पड़ी। मैंने टीपू सुल्तान से संबंधित अध्याय खोला तो मुझे जिस वाक्य ने बहुत ज़्यादा आश्चर्य में डाल दिया, वह यह थाः

    ‘‘तीन हज़ार ब्राह्मणों ने आत्महत्या कर ली,

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  23. तीन हज़ार ब्राह्मणों ने आत्महत्या कर ली, क्योंकि टीपू उन्हें ज़बरदस्ती मुसलमान बनाना चाहता था।''

    इस पाठ्य-पुस्तक के लेखक महामहोपाध्याय डॉ0 हरप्रसाद शास्त्री थे जो कलकत्ता विश्वविद्यालय में संस्कृत के विभागाध्यक्ष थे। मैंने तुरन्त डॉ0 शास्त्री को लिखा कि उन्होंने टीपू सुल्तान के सम्बन्ध में उपरोक्त वाक्य किस आधार पर और किस हवाले से लिखा है। कई पत्र लिखने के बाद उनका यह जवाब मिला कि उन्होंने यह घटना ‘मैसूर गज़ेटियर'(Mysore Gazetteer) से उद्धृत की है। मैसूर गज़ेटियर न तो इलाहाबाद में और न तो इम्पीरियल लाइब्रेरी, कलकत्ता में प्राप्त हो सका। तब मैंने मैसूर विश्व विद्यालय के तत्कालीन कुलपति सर बृजेन्द्रनाथ सील को लिखा कि डॉ0 शास्त्री ने जो बात कही है, उसके बारे में जानकारी दें। उन्होंने मेरा पत्र प्रोफ़ेसर श्री कंटइया के पास भेज दिया जो उस समय मैसूर गज़ेटियर का नया संस्करण तैयार कर रहे थे।

    प्रोफ़ेसर श्री कंटइया ने मुझे लिखा कि तीन हज़ार ब्राह्मणों की आत्महत्या की घटना ‘मैसूर गज़ेटियर' में कहीं भी नहीं है और मैसूर के इतिहास के एक विद्यार्थी की हैसियत से उन्हें इस बात का पूरा यक़ीन है कि इस प्रकार की कोई घटना घटी ही नहीं है। उन्होंने मुझे सूचित किया कि टीपू सुल्तान के प्रधानमंत्री पुनैया नामक एक ब्राह्मण थे और उनके सेनापति भी ब्राह्मण कृष्णराव थे। उन्होंने मुझको ऐसे 156 मंदिरों की सूची भी भेजी जिन्हें टीपू सुल्तान वार्षिक अनुदान दिया करते थे। उन्होंने टीपू सुल्तान के तीस पत्रों की फ़ोटो कापियाँ भी भेजीं जो उन्होंने श्रृंगेरी मठ के जगद्गुरू शंकाराचार्य को लिखे थे और जिनके साथ सुल्तान के अति घनिष्ठ मैंत्री सम्बन्ध थे। मैसूर के राजाओं की परम्परा के अनुसार टीपू सुल्तान प्रतिदिन नाश्ता करने के पहले रंगनाथ जी के मंदिर में जाते थे, श्रीरंगापटनम के क़िले में था। प्रोफ़ेसर श्री कंटइया के विचार में डॉ0 शास्त्री ने यह घटना कर्नल माइल्स की किताब ‘हिस्ट्री आफ़ मैसूर' (मैसूर का इतिहास) से ली होगी। इसके लेखक का दावा था कि उसने अपनी किताब को ‘टीपू सुल्तान का इतिहास' एक प्राचीन फ़ारसी पांडुलिपि से अनूदित किया है, जो महारानी विक्टोरिया के निजी लाइब्रेरी में थी। खोज-बीन से मालूम हुआ कि महारानी की लाइब्रेरी में ऐसी कोई पांडुलिपि थी ही नहीं और कर्नल माइल्स की किताब की बहुत-सी बातें बिल्कुल ग़लत एवं मनगढंत हैं।

    डॉ0 शास्त्री की किताब पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में पाठ्यक्रम के लिए स्वीकृत थी। मैंने कलकत्ता विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति सर आशुतोष चैधरी को पत्र लिखा और इस सिलसिले में अपने सारे पत्र-व्यवहारों की नक़्लें भेजीं और उनसे निवेदन किया कि इतिहास की इस पाठ्य-पुस्तक में टीपू सुल्तान से सम्बन्धित जो ग़लत और भ्रामक वाक्य आए हैं, उनके विरुद्ध समुचित कार्यवाई की जाए। सर आशुतोष चैधरी का शीध्र ही यह जवाब आ गया कि डॉ0 शास्त्री की उक्त पुस्तक को पाठ्यक्रम से निकाल दिया गया है। परन्तु मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि आत्महत्या की वही घटना 1972 ई0 में भी उत्तर प्रदेश में जूनियर हाई स्कूल की कक्षाओं में इतिहास के पाठ्यक्रम की किताबों में उसी प्रकार मौजूद थी। इस सिलसिले में महात्मा गांधी की वह टिप्पणी भी पठनीय है जो उन्होंने अपने अख़बार ‘यंग इंडिया' में 23 जनवरी, 1930 ई0 के अंक में पृष्ठ 31 पर की थी। उन्होंने लिखा था कि-

    ‘‘मैसूर के फ़तह अली (टीपू सुल्तान) को विदेशी इतिहासकारों ने इस प्रकार पेश किया है कि मानो वह धर्मान्धता का शिकार था। इन इतिहासकारों ने लिखा है कि उसने अपनी हिन्दू प्रजा पर ज़ुल्म ढाए और उन्हें ज़बरदस्ती मुसलमान बनाया, जबकि वास्तविकता इसके बिल्कुल विपरीत थी। हिन्दू प्रजा के साथ उसके बहुत अच्छे सम्बन्ध थे।............... मैसूर राज्य (अब कर्नाटक) के पुरातत्व विभाग (Archaelogy Department) के पास ऐसे तीस पत्र हैं, जो टीपू सुल्तान ने श्रृंगेरी मठ के जगदगुरू शंकराचार्य को 1793 ई0 में लिखे थे। इनमें से एक पत्र में टीपू सुल्तान ने शंकराचार्य के पत्र की प्राप्ति का उल्लेख करते हुए उनसे निवेदन किया है कि वे उसकी और सारी दुनिया की भलाई, कल्याण और ख़ुशहाली के लिए तपस्या और प्रार्थना करें। अन्त में उसने शंकराचार्य से यह भी निवेदन किया है कि वे मैसूर लौट आएं, क्योंकि किसी देश में अच्छे लोगों के रहने से वर्षा होती है फ़सल अच्छी होती है और ख़ुशहाली आती है।'' यह पत्र भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखे जाने के योग्य है। ‘यंग इण्डिया' में आगे कहा गया है-

    ‘‘टीपू सुल्तान ने हिन्दू मन्दिरों विशेष रूप से श्री वेंकटरमण, श्रीनिवास और श्रीरंगनाथ मन्दिरों को ज़मीनों एवं अन्य वस्तुओं के रूप में बहुमूल्य उपहार दिए।

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  24. टीपू सुल्तान ने हिन्दू मन्दिरों विशेष रूप से श्री वेंकटरमण, श्रीनिवास और श्रीरंगनाथ मन्दिरों को ज़मीनों एवं अन्य वस्तुओं के रूप में बहुमूल्य उपहार दिए। कुछ मन्दिर उसके महलों के परिसर में थे यह उसके खुले ज़ेहन, उदारता एवं सहिष्णुता का जीता-जागता प्रमाण है। इससे यह वास्तविकता उजागर होती है कि टीपू एक महान शहीद था। जो किसी भी दृष्टि से आज़ादी की राह का हक़ीक़ी शहीद माना जाएगा, उसे अपनी इबादत में हिन्दू मन्दिरों की घंटियों की आवाज़ से कोई परेशानी महसूस नहीं होती थी। टीपू ने आज़ादी के लिए लड़ते हुए जान दे दी और दुश्मन के सामने हथियार डालने के प्रस्ताव को सिरे से ठुकरा दिया। जब टीपू की लाश उन अज्ञात फ़ौजियों की लाशों में पाई गई तो देखा गया कि मौत के बाद भी उसके हाथ में तलवार थी-वह तलवार जो आज़ादी हासिल करने का ज़रिआ थी। उसके ये ऐतिहासिक शब्द आज भी याद रखने के योग्य है: ‘शेर की एक दिन की ज़िन्दगी लोमड़ी के सौ सालों की ज़िन्दगी से बेहतर है।' उसकी शान में कही गई एक कविता की वे पंक्तियाँ भी याद रखे जाने योग्य हैं, जिनमें कहा गया है कि "ख़ुदाया, जंग के ख़ून बरसाते बादलों के नीचे मर जाना, लज्जा और बदनामी की ज़िन्दगी जीने से बेहतर है।''

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  25. इसी प्रकार जब मैं इलाहाबाद नगरपालिका का चेयरमैन था (1948 ई0 से 1953 ई0 तक) तो मेरे सामने दाख़िल-ख़ारिज का एक मामला लाया गया। यह मामला सोमेश्वर नाथ महादेव मन्दिर से संबंधित जायदाद के बारे में था। मन्दिर के महंत की मृत्यु के बाद उस जायदाद के दो दावेदार खड़े हो गए थे। एक दावेदार ने कुछ दस्तावेज दाख़िल किये जो उसके ख़ानदान में बहुत दिनों से चले आ रहे थे। इन दस्तावेज़ों में शहंशाह औरंगज़ेब के फ़रमान भी थे। औरंगज़ेब ने इस मन्दिर को जागीर और नक़द अनुदान दिया था। मैंने सोचा कि ये फ़रमान ज़ाती होंगे। मुझे आश्चर्य हुआ कि यह कैसे हो सकता है कि औरंगज़ेब जो मन्दिरों को तोड़ने के लिए प्रसिद्ध है, वह एक मन्दिर को यह कह कर जागीर दे सकता है कि यह जागीर पूजा और भोग के लिए दी जा रही है। आख़िर औरंगज़ेब कैसे बुतपरस्ती के साथ अपने को शरीक कर सकता था।

    मुझे यक़ीन था कि ये दस्तावेज़ जाली है, परन्तु कोई निर्णय लेने से पहले मैंने डॉ0 सर तेज बहादुर सप्रू से राय लेना उचित समझा। वे अरबी और फ़ारसी के अच्छे जानकार थे। मैंने दस्तावेज़ें उनके सामने पेश करके उनकी राय मालूम की तो उन्होंने दस्तावेज़ों का अध्ययन करने के बाद कहा कि औरंगज़ेब के ये फ़रमान असली और वास्तविक हैं। इसके बाद उन्होंने अपने मंशी से बनारस के जंगमबाड़ी शिव मन्दिर की फ़ाइल लाने को कहा। यह मुक़द्दमा इलाहाबाद हाईकोर्ट में 15 साल से विचाराधीन था। जंगमबाड़ी मन्दिर के महंत के पास भी औरंगज़ेब के कई फ़रमान थे, जिनमें मन्दिर को जागीर दी गई थी।

    इन दस्तावेज़ों ने औरंगज़ेब की एक नई तस्वीर मेरे सामने पेश की उससे मैं आश्चर्य में पड़ गया। डॉक्टर सप्रू की सलाह पर मैंने भारत के विभिन्न प्रमुख मन्दिरों के महंतों के पास पत्र भेज कर उनसे निवेदन किया कि यदि उनके पास औरंगज़ेब के कुछ फ़रमान हों जिनमें उन मन्दिरों को जागीर दी गई हो तो वे कृपा करके उनकी फ़ोटो-स्टेट कापियाँ मेरे पास भेज दें। अब मेरे सामने एक और आश्चर्य की बात आई। उज्जैन के महाकलेश्वर मन्दिर, चित्रकूट के बालाजी मन्दिर, गोहाटी के उमानन्द मन्दिर, शत्रुंजाई के जैन मन्दिर और उत्तर भारत में फैले हुए अन्य प्रमुख मन्दिरों एवं गुरुद्वारों से सम्बन्धित जागीरों के लिए औरंगज़ेब के फ़रमानों की नक़लें मुझे प्राप्त हुईं। ये फ़रमान 1065 हि0 से 1091 हि0, अर्थात् 1685 ई0 के बीच जारी किए गए थे।

    हालांकि हिन्दुओं और उनके मन्दिरों के प्रति औरंगज़ेब के उदार रवैये की ये कुछ मिसाले हैं, फिर भी इनसे यह प्रमाणित हो जाता है कि इतिहासकारों ने उसके सम्बन्ध में जो कुछ लिखा है, वह पक्षपात पर आधारित है और इससे उसकी तस्वीर का एक ही रुख़ सामने लाया गया है। भारत एक विशाल देश है, जिसमें हज़ारों मन्दिर चारों ओर फैले हुए हैं। यदि सही ढंग से खोजबीन की जाए तो मुझे विश्वास है कि और बहुत-से ऐसे उदाहरण मिल जाएँगे जिनसे औरंगज़ेब के ग़ैर-मुस्लिमों के प्रति उदार व्यवहार का पता चलेगा। औरंगज़ेब के फ़रमानों की जाँच-पड़ताल के सिलसिले में मेंरा सम्पर्क श्री ज्ञानचन्द्र और पटना म्यूज़ियम के भूतपूर्व क्यूरेटर डॉ0 पी0एल0 गुप्ता से हुआ। ये महानुभाव भी औरंगज़ेब के विषय में ऐतिहासिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण रिसर्च कर रहे थे। मुझे ख़ुशी हुई कि कुछ अन्य अनुसन्धानकर्ता भी सच्चाई को तलाश करने में व्यस्त हैं और काफ़ी बदनाम औरंगज़ेब की तस्वीर को साफ़ करने में अपना योगदान दे रहे है। औरंगज़ेब जिसे पक्षपाती इतिहासकारों ने भारत में मुस्लिम हुकूमत का प्रतीक मान रखा है, उसके बारे में वे क्या विचार रखतेहैं इसके विषय में यहाँ तक कि शिब्ली जैसे इतिहास गवेशी कवि को कहना पड़ा:

    तुम्हें ले-दे के सारी दास्ताँ में याद है इतना।
    कि औरंगज़ेब हिन्दू-कुश था, ज़ालिम था, सितमगार था।।

    औरंगज़ेब पर हिन्दू-दुश्मनी के आरोप के सम्बन्ध में जिस फ़रमान को बहुत उछाला गया है, वह ‘फ़रमाने-बनारस' के नाम से प्रसिद्ध है। यह फ़रमान बनारस के मुहल्ला ग़ौरी के एक ब्राह्मण परिवार से संबंधित है। 1905 ई0 में इसे गोपी उपाध्याय के नवासे मंगल पाण्डेय ने सिटी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया था। इसे पहली बार ‘एशियाटिक-सोसाइटी' बंगाल के जर्नल (पत्रिका) ने 1911ई0 में प्रकाशित किया था। फलस्वरूप रिसर्च करने वालों का ध्यान इधर गया। तब से इतिहासकार प्रायः इसका हवाला देते आ रहे हैं और वे इसके आधार पर औरंगज़ेब पर आरोप लगाते हैं कि उसने हिन्दू मन्दिरों के निर्माण पर प्रतिबन्ध लगा दिया था, जबकि इस फ़रमान का वास्तविक महत्व उनकी निगाहों से ओझल रह जाता है।
    यह लिखित फ़रमान औरंगज़ेब ने 15 जुमादुल-अव्वल 1065 हि0 (10 मार्च 1659 ई0) को बनारस के स्थानीय अधिकारी के नाम भेजा था जो एक ब्राह्मण की शिकायत के सिलसिले में जारी किया गया था। वह ब्राह्मण एक मन्दिर का महंता था और कुछ लोग

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  26. वह ब्राह्मण एक मन्दिर का महंता था और कुछ लोग उसे परेशान कर रहे थे। फ़रमान में कहा गया है:

    ‘‘अबुल हसन को हमारी शाही उदारता का क़ायल रहते हुए यह जानना चाहिए कि हमारी स्वाभाविक दयालुता और प्राकृतिक न्याय के अनुसार हमारा सारा अनथक संघर्ष और न्यायप्रिय इरादों का उद्देश्य जन-कल्याण को बढ़ावा देना है और प्रत्येक उच्च एवं निम्न वर्गों के हालात को बेहतर बनाना है। अपने पवित्र क़ानून के अनुसार हमने फ़ैसला किया है कि प्राचीन मन्दिरों को तबाह और बर्बाद न किया जाए, अलबत्ता नए मन्दिर न बनाए जाएं।

    हमारे इस न्याय पर आधारित काल में हमारे प्रतिष्ठित एवं पवित्र दरबार में यह सूचना पहुँची है कि कुछ लोग बनारस शहर और उसके आस-पास के हिन्दू नागरिकों और मन्दिरों के ब्राह्मण-पुरोहितों को परेशान कर रहे हैं तथा उनके मामलों में दख़ल दे रहे हैं, जबकि ये प्राचीन मन्दिर उन्हीं की देख-रेख में है। इसके अतिरिक्त वे चाहते हैं कि इन ब्राह्मणों को इनके पुराने पदों से हटा दें। यह दख़लंदाजी इस समुदाय के लिए परेशानी का कारण है।

    इस लिए यह हमारा फ़रमान है कि हमारा शाही हुक्म पहुँचते ही तुम हिदायत जारी कर दो कि कोई भी व्यक्ति ग़ैर-क़ानूनी रूप से दखलंदाजी न करे और न उन स्थानों के ब्राह्मणों एवं अन्य हिन्दू नागरिकों को परेशान करे। ताकि पहले की तरह उनका क़ब्ज़ा बरक़रार रहे और पूरे मनोयोग से वे हमारी ईश-प्रदत्त सल्तनत के लिए प्रार्थना करते रहें। इस हुक्म को तुरन्त लागू किया जाये।''

    इस फ़रमान से बिल्कुल स्पष्ट है कि औरंगज़ेब ने नए मन्दिरों के निर्माण के विरुद्ध कोई नया हुक्म जारी नहीं किया, बल्कि उसने केवल पहले से चली आ रही परम्परा का हवाला दिया और उस परम्परा की पाबन्दी पर ज़ोर दिया। पहले से मौजूद मन्दिरों को ध्वस्त करने का उसने कठोरता से विरोध किया। इस फ़रमान से यह भी स्पष्ट हो जाता है कि वह हिन्दू प्रजा को सुख - शान्ति से जीवन व्यतीत करने का अवसर देने कर इच्छुक था।

    यह अपने जैसा केवल एक ही फ़रमान नहीं है। बनारस में ही एक और फ़रमान मिलता है जिससे स्पष्ट होता है कि औरंगज़ेब वास्तव में चाहता था कि हिन्दू सुख-शान्ति के साथ जीवन व्यतीत कर सकें। यह फ़रमान इस प्रकार है:

    ‘‘रामनगर (बनारस) के महाराजाधिराज राजा रामसिंह ने हमारे दरबार में अर्ज़ी पेश की है कि उनके पिता ने गंगा नदी के किनारे अपने धार्मिक गुरू भगवत गोसाईं के निवास के लिए एक मकान बनवाया था। अब कुछ लोग गोसाईं को परेशान कर रहे है। अतः यह शाही फ़रमान जारी किया जाता है कि इस फ़रमान के पहुँचते ही सभी वर्तमान एवं आने वाले अधिकारी इस बात का पूरा ध्यान रखें कि कोई भी व्यक्ति गोसाईं को परेशान एवं डरा-धमका न सके, और न उनके मामले में हस्तक्षेप करे, ताकि वे पूरे मनोयोग के साथ हमारी ईश-प्रदत्त सल्तनत के स्थायित्व के लिए प्रार्थना करते रहें। इस फ़रमान पर तुरन्त अमल किया जाए।'' (तारीख़-17 रबीउस्सानी 1091 हि0)

    जंगमबाड़ी मठ के महंत के पास मौजूद कुछ फ़रमानी से पता चलता है कि औरंगज़ेब कभी यह सहन नहीं करता था कि उसकी प्रजा के अधिकार किसी प्रकार से भी छीने जाएं, चाहे वे हिन्दू हों या मुसलमान। वह अपराधियों के साथ सख़्ती से पेश आता था। इन फ़रमानों में एक जंगम लोगों (शैव सम्प्रदाय के एक मत के लोग) की ओर से एक मुसलमान नागरिक नज़ीर बेग के विरुद्ध शिकायत के सिलसिले में है। यह मामला औरंगज़ेब के दरबार में लाया गया, जिस पर शाही हुक्म दिया गया कि बनारस सूबा इलाहाबाद के अफ़सरों को सूचित किया जाता है कि परगना बनारस के नागरिकों अर्जुनमल और जगमियों ने शिकायत की है कि बनारस के एक नागरिक नज़ीर बेग ने क़स्बा बनारस में उनकी पाँच हवेलियों पर क़ब्ज़ा कर लिया है। उन्हें हुक्म दिया जाता है कि यदि शिकायत सच्ची पाई जाए और जायदाद की मिल्कियत का अधिकार प्रमाणित हो जाए तो नज़ीर बेग को उन हवेलियों में दाख़िल न होने दिया जाए, ताकि जंगमियों को भविष्य में अपनी शिकायत दूर करवाने के लिए हमारे दरबार में न आना पड़े।

    इस फ़रमान पर 11 शाबान, 13 जुलूस (1672 ई0) की तारीख़ दर्ज है। इसी मठ के पास मौजूद एक दूसरे फ़रमान में जिस पर पहली रबीउल-अव्वल 1978 हि0 की तारीख़ दर्ज है, यह उल्लेख है कि ज़मीन का क़ब्ज़ा जंगमियों को दिया गया। फ़रमान में है-

    ‘‘परगना हवेली बनारस के सभी वर्तमान और भावी जागीरदारों एवं करोड़ियों को सूचित किया जाता है कि शहंशाह के हुक्म से 178 बीघा ज़मीन जंगमियों को दी गई। पुराने अफ़सरों ने इसकी पुष्टि की थी और उस समय के परगना के मालिक की मुहर के साथ यह सुबूत पेश किया गया है कि ज़मीन पर उन्हीं का हक़ है। अतः शहंशाह की जान के सदक़े के रूप में यह ज़मीन उन्हें दे दी गई। ख़रीफ़ की फ़सल के प्रारम्भ से ज़मीन पर उनका क़ब्ज़ा बहाल किया जाय और फिर किसी प्रकार की दख़लंदा

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  27. ख़रीफ़ की फ़सल के प्रारम्भ से ज़मीन पर उनका क़ब्ज़ा बहाल किया जाय और फिर किसी प्रकार की दख़लंदाजी न होने दी जाए, ताकि जंगमी लोग उसकी आमदनी से अपनी देख-रेख कर सकें। ''

    इस फ़रमान से केवल यही पता नहीं चलता कि औरंगज़ेब स्वभाप से न्यायप्रिय था, बल्कि यह भी साफ़ नज़र आता है कि वह इस तरह की जायदादों के बंटवारे में हिन्दू धार्मिक सेवकों के साथ कोई भेदभाव नहीं बरतता था। जंगमियों को 178 बीघा ज़मीन संभवतः स्वंय औरंगज़ेब ही ने प्रदान की थी, क्योंकि एक दूसरे फ़रमान ( तिथि 5 रमजान, 1071 हि0) इसका स्पष्टीकरण किया गया है कि यह ज़मीन मालगुज़ारी मुक्त है।

    औरंगज़ेब ने एक दूसरे फ़रमान (1098 हि0) के द्वारा एक-दूसरी हिन्दू धार्मिक संस्था को भी जागीर प्रदान की । फ़रमान में कहा गया है:
    ‘‘बनारस में गंगा नदी के किनारे बेनी-माधो घाट पर दो प्लाट ख़ाली हैं, एक मर्क़ज़ी मस्जिद के किनारे रामजीवन गोसाईं के घर के सामने और दूसरा उससे पहले। ये प्लाट बैतुल-माल की मिल्कियत हैं। हमने यह प्लाट रामजीवन गोसाईं और उनके लड़के को ‘इमाम' के रूप में प्रदान किया, ताकि उक्त प्लाटों पर ब्रहम्मणों एवं फ़क़ीरों के रहने के लिए मकान बनाने के बाद वे ख़ुदा की इबादत और हमारी ईश-प्रदत्त सल्तनत के स्थायित्व के लिए दुआ और प्रार्थना करने में लग जाएं। हमारे बेटो, वज़ीरों, अमीरों, उच्च पदाधिकारियों, दारोग़ा और तर्वमान एवं भावी कोतवाली के लिए अनिवार्य है कि वे इस आदेश के पालन का ध्यान रखे और उक्त प्लाट, उपर्युक्त व्यक्ति और उसके वारिसों के क़ब्ज़े ही में रहने दे और उनसे न कोई मालगुज़ारी या टैक्स लिया जाए और न उनसे हर साल नई सनद मांगी जाए।''

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  28. लगता है औरंगज़ेब को अपनी प्रजा की धार्मिक भावनाओं के सम्मान का बहुत अधिक ध्यान रहता था। हमारे पास औरंगज़ेब का एक फ़रमान (2 सफ़र, 9 जुलूस) है जो असम के शहर गोहाटी के उमानन्द मन्दिर के पुजारी सुदामन ब्राह्मण के नाम है। असम के हिन्दू राजाओं की ओर से इस मन्दिर और उसके पुजारी को ज़मीन का एक टुकड़ा और कुछ जंगलों की आमदनी जागीर के रूप में दी गई थी, ताकि भोग का ख़र्च पूरा किया जा सके और पुजारी की आजीविका चल सके। जब यह प्रांत औरंगज़ेब के शासन-क्षेत्र में आया, तो उसने तुरन्त ही एक फ़रमान के द्वारा इस जागीर को यथावत रखने का आदेश दिया।

    हिन्दुओं और उनके धर्म के साथ औरंगज़ेब की सहिष्णुता और उदारता का एक और सुबूत उज्जैन के महाकालेश्वर मन्दिर के पुजारियों से मिलता है। यह शिवजी के प्रमुख मन्दिरों में से एक है, जहाँ दिन-रात दीप प्रज्वलित रहता है। इसके लिए काफ़ी दिनों से प्रतिदिन चार सेर घी वहाँ की सरकार की ओर से उपलब्ध कराया जाता था और पुजारी कहते हैं कि यह सिलसिला मुग़ल काल में भी जारी रहा। औरंगज़ेब ने भी इस परम्परा का सम्मान किया।

    इस सिलसिले में पुजारियों के पास दुर्भाग्य से कोई फ़रमान तो नहीं उपलब्ध है, परन्तु एक आदेश की नक़्ल ज़रूर है जो औरंगज़ेब के काल में शहज़ादा मुराद बख़्श की तरफ़ से जारी किया गया था। (5 शव्वाल 1061 हि0) को यह आदेश शहंशाह की ओर से शहज़ादा ने मन्दिर के पुजारी देव नारायण के एक आवेदन पर जारी किया था। वास्तविकता की पुष्टि के बाद इस आदेश में कहा गया है कि मन्दिर के दीप के लिए चबूतरा कोतवाल के तहसीलदार चार सेर (अकबरी) घी प्रतिदिन के हिसाब से उपलब्ध कराएं। इसकी नक़्ल मूल आदेश के जारी होने के 93 साल बाद (1153 हिजरी) में मुहम्मद सअदुल्लाह ने पुनः जारी की।

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  29. साधारणतया इतिहासकार इसका बहुत उल्लेख करते हैं कि अहमदाबाद में नागर सेठ के बनवाए हुए चिन्तामणि मन्दिर को ध्वस्त किया गया, परन्तु इस वास्तविकता पर पर्दा डाल देते हैं कि उसी औरंगज़ेब ने उसी नागर सेठ के बनवाए हुए शत्रुंजया और आबू मन्दिरों को काफ़ी बड़ी जागीरें प्रदान कीं। निःसंदेह इतिहास से यह प्रमाणित होता है कि औरंगज़ेब ने बनारस के विश्वनाथ मन्दिर और गोलकुण्डा की जामा-मस्जिद को ढा देने का आदेश दिया था, परन्तु इसका कारण कुछ और ही था। विश्वनाथ मन्दिर के सिलसिलें में घटनाक्रम यह बयान किया जाता है कि जब औरंगज़ेब बंगाल जाते हुए बनारस के पास से गुज़र रहा था, तो उसके क़ाफ़िले में शामिल हिन्दू राजाओं ने बादशाह से निवेदन किया कि वहाँ क़ाफ़िला एक दिन ठहर जाए तो उनकी रानियाँ बनारस जा कर गंगा नदी में स्नान कर लेंगी और विश्वनाथ जी के मन्दिर में श्रद्धा सुमन भी अर्पित कर आएंगी। औरंगज़ेब ने तुरन्त ही यह निवेदन स्वीकार कर लिया और क़ाफ़िले के पड़ाव से बनारस तक पाँच मील के रास्ते पर फ़ौजी पहरा बैठा दिया। रानियाँ पालकियों में सवार होकर गईं और स्नान एवं पूजा के बाद वापस आ गईं, परन्तु एक रानी (कच्छ की महारानी) वापस नहीं आई, तो उसकी बड़ी तलाश हुई, लेकिन पता नहीं चल सका। जब औरंगज़ेब को मालूम हुआ तो उसे बहुत ग़ुस्सा आया और उसने अपनी फ़ौज के बड़े-बड़े अफ़सरों को तलाश के लिए भेजा। आख़िर में उन अफ़सरों ने देखा कि गणेश की मूर्ति जो दीवार में जड़ी हुई है, हिलती है। उन्होंने मूर्ति हटवा कर देखा तो तहख़ाने की सीढ़ी मिली और गुमशुदा रानी उसी में पड़ी रो रही थी। उसकी इज़्ज़त भी लूटी गई थी औ उसके आभूषण भी छीन लिए गए थे। यह तहख़ाना विश्वनाथ जी की मूर्ति के ठीक नीचे था। राजाओं ने इस हरकत पर अपनी नाराज़ी जताई और विरोध प्रकट किया। चूंकि यह बहुत घिनौना अपराध था, इसलिए उन्होंने कड़ी से कड़ी कार्यवाही करने की मांग की। उनकी मांग पर औरंगज़ेब ने आदेश दिया कि चूंकि पवित्र-स्थल को अपवित्र किया जा चुका है। अतः विश्वनाथ जी की मूर्ति को कहीं और ले जा कर स्थापित कर दिया जाए और मन्दिर को गिरा कर ज़मीन को बराबर कर दिया जाए और महंत को गिरफ़्तार कर लिया जाए।

    डॉक्टर पट्टाभि सीता रमैया ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘द फ़्रेदर्स एण्ड द स्टोंस' में इस घटना को दस्तावेज़ों के आधार पर प्रमाणित किया है। पटना म्यूज़ियम के पूर्व क्यूरेटर डॉ0 पी0 एल0 गुप्ता ने भी इस घटना की पुष्टि की है। गोलकुण्डा की जामा-मस्जद की घटना यह है कि वहाँ के राजा जो तानाशाह के नाम से प्रसिद्ध थे, रियासत की मालगुज़ारी वुसूल करने के बाद दिल्ली का हिस्सा नहीं भेजते थे। कुछ ही वर्षों में यह रक़म करोड़ों की हो गई। तानाशाह ने यह ख़जाना एक जगह ज़मीन में गाड़ कर उस पर मस्जिद बनवा दी। जब औरंगज़ेब को इसका पता चला तो उसने आदेश दे दिया कि यह मस्जिद गिरा दी जाए। अतः गड़ा हुआ ख़ज़ाना निकाल कर उसे जन-कल्याण के कामों में ख़र्च किया गया।

    ये दोनों मिसालें यह साबित करने के लिए काफ़ी हैं कि औरंगज़ेब न्याय के मामले में मन्दिर और मस्जिद में कोई फ़र्क़ नहीं समझता था।
    ‘‘दुर्भाग्य से मध्यकाल और आधुनिक काल के भारतीय इतिहास की घटनाओं एवं चरित्रों को इस प्रकार तोड़-मरोड़ कर मनगढंत अंदाज़ में पेश किया जाता रहा है कि झूठ ही ईश्वरीय आदेश की सच्चाई की तरह स्वीकार किया जाने लगा, और उनको दोषी ठहराया जाने लगा जो तथ्य और मनगढ़ंत बातों में अन्तर करते हैं। आज भी साम्प्रदायिक एवं स्वार्थी तत्व इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने और उसे ग़लत रंग देने में लगे हुए है।''

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    1. भाई, लिखा तो बहुत अच्छा है, जो मेरे समझ से परे है। मैं मान गया कि आप लोगों की धर्म सबसे अच्छा है, पिसफुल है, भाईचारा के लिए है। पर ये दिखता क्यों नहीं। जहां भी देखो अशांति क्यों फैला रखा है। पुरा दुनिया में जहां भी उग्रवाद है, सभी में एक ही समुदाय के लोग क्यों सामिल हैं। उनको क्यों नहीं समझाते हैं। दुनिया में प्यार बांटो। मानवता का कदर करो। जो जैसी पुजापद्धती को अपनाना चाहता है, उसको अपनाने दो। मेरा ही पद्धती ही सही है बोलना अहंकार है और अहंकारी सर्बस्रेष्ठ नहीं हो सकता। इसलिए अहंकार छोड़ कर सिष्ठ बनो। मानवता को सम्मान दो। अपने आप सभी अच्छा कहेंगे। अगर इस्लाम सही है तो आज जो कूरान असली नहीं है, इसको किसीने अपनी स्वार्थ केलिए बदल दिया है और मुझे लगता है इस्लाम ठिक है पर इसको किसीने अपनी राजनीतिक स्वार्थ के लिए बदल दिया है। पर अगर वर्तमान की कुरान असली है तो इस्लाम सही नहीं है। मेरे विचार से कुरान को अरब की खलीफाओं ने अपनी स्वार्थ केलिए बदल दिया है और असली कुरान को जला दिया गया है। जिसका उल्लेख इतिहास में कईवार सामने आई है। अन्यथा इश्वर की नाम लेकर इंसानों को मारा नहीं जाता और धर्म के नाम में जानवरों को काटा नहीं जाता।

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    2. Bhagwan Shree Krishna ji ne kaha tha "NA TASMAYI PRATIMA ASTI" arthat Mere siva koi bhagwan nahi nahi hai ....Jo mera ek bar bhi sachhe Mann se smaran kar leta hai... Vo pavitra Aatmayen baikunth dham me jati hai...aur moksh ko prapt hoti hai..
      Tatha jo mujhme nahi maanta... Aur kisi pakhand ko apnata hai.....vo nark me saja bhogta hai aur moksh ko prapt nahi kar pata atha jivan maran ke chakr me phansa rahta hai...

      Bhagwan ne yeh bhi kaha tha...ki Kaliyug me paap bohot badh jayega...aur sab apne aapki puja karwane ke liye tarah tarah ke adambar karenge...alag alag jhoothe Majhub bann jayenge...Mujhe (Bhagwan) na mankar Saitaan ki puja karenge...Aisa karne wale Kaliyugi Narak ki aag me jalenge...aur Kaliyug jab aapne Charam pe hoga to Un sabhi Papiyo ka naash karne ke liye me Ek bar Fir Avtaar lunga...
      Isliye Aap sabhi Bhagwan ki Sharan me Aa jao...
      Juthi kahaniyon pe vishwas na karo...jo kisi Manushya dwara hi gadhi gayi hai .....
      Jai Shree Krishna.

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  30. ऐसे में ये सीधी तौर से ज़िहाद हम हिदुओ के साथ हो रहा है लेकिन हे पफने के बाद हम भी इससे दुगनी तरीके से जिहाद फैलाएंगे और जहा इस्लाम मिलेगा वही ख़त्म कर दिया जायेगा

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  31. Sabhi relagion ki holly books me murti pujan ke liye nahi kaha hai .... kisi bhi relagion me murti pujan nahi hai .... apani padhlijiye pehale mere bhai .... Aur upar jo anuwad galat Kiya hai usko thik kariye ...

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  32. Ye kuran atankwad fhelane ki kitab hai ..ye insaniyat ki dushman hai..

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  33. किस writer की कुरान है

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  34. कोरिया में प्रचार करें इस्लाम का

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  35. भाई मैंने भी थोड़ा स पढ़ा है कुरआन को और बिल्कुल सही के रहे हो भाई। इससे य भी पता चलता है कि मुसलमानों स पहले हमारा धर्म था।

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    1. Bhagwan Shree Krishna ji ne kaha tha "NA TASMAYI PRATIMA ASTI" arthat Mere siva koi bhagwan nahi nahi hai ....Jo mera ek bar bhi sachhe Mann se smaran kar leta hai... Vo pavitra Aatmayen baikunth dham me jati hai...aur moksh ko prapt hoti hai..
      Tatha jo mujhme nahi maanta... Aur kisi pakhand ko apnata hai.....vo nark me saja bhogta hai aur moksh ko prapt nahi kar pata atha jivan maran ke chakr me phansa rahta hai...

      Bhagwan ne yeh bhi kaha tha...ki Kaliyug me paap bohot badh jayega...aur sab apne aapki puja karwane ke liye tarah tarah ke adambar karenge...alag alag jhoothe Majhub bann jayenge...Mujhe (Bhagwan) na mankar Saitaan ki puja karenge...Aisa karne wale Kaliyugi Narak ki aag me jalenge...aur Kaliyug jab aapne Charam pe hoga to Un sabhi Papiyo ka naash karne ke liye me Ek bar Fir Avtaar lunga...
      Isliye Aap sabhi Bhagwan ki Sharan me Aa jao...
      Juthi kahaniyon pe vishwas na karo...jo kisi Manushya dwara hi gadhi gayi hai .....
      Jai Shree Krishna

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  36. Islam saccha majhab h
    Islam insaniyat k dhrm h .......

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  37. Sahi kah rahe ho bhai ... kuran aatankwaad paida kr raha

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    1. Aur bhagwad geeta.pure jhut makkaari se yudh lda aur jeeta gya

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  39. In Surah 2 - Al Baqarah - Verse 2 - Allah Subhanahu says 'Dhalikal Kitabu La Raiba Fi'. 'This is the Book and in it is guidance'.
    In hindi:
    ये पुस्तक है, जिसमें कोई संशय (संदेह) नहीं,मार्गदर्शन के लिए है.

    अल्लाह के कुरान में इंसानियत को 99 सीधे हुक्म..!
    http://dhunt.in/2hTX0?ss=wsp&s=pa

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  40. Mere Bhai logo aap poora vakiya thik se pado aadha adura vakiya padoge to galat Matlab nikalega,vakiya samajneki koshish Karo Quran aasan he samajne ke liye lekin utana asan nahi jaise tum samaj rahe ho.

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  41. Islam Sabse Ganda Dharm hai Because Mein Khud Muslamaan tha Meri Family Sengar Rajput ki hai Muslim ne hee Hamara Zabardasti Islam mein Conversation Karaya tha aaj hee ke din saal 23 December 2537 mein Babur hamari Sengar Riyasat Jagammanpur ke Hamare Purane Fort jo Yamuna River ke Kinare tha Uspar Hamla Kiya tha Or bola tha Agar Tumne Islam Nahi Ap bata To Tumhare Dono Chhote Bhaiyo ko maar Diya Jayega or Tumhari Behen ko Nanga Karke Mughal Sena ke Beech mein Daal Diya jayega tab Hamare Grandfather jo Us time Raja Nahi the unhone Islam Accept kar liya but Year 1853 mein hamare Poorwajo ne Wapas Hindu Dharm Accept Kar liya. So Jai Rajputana 🚩🚩🚩 Kai Sengar 🚩🚩🚩 or mera sabhi Logo se Haath jodkar Nivedan hai ki hindu religion ko badhao or Islam ko khatam karo kyunki ki Aayaat 4:03 mein likha ki Dusro ko maaro Jo Moorti poojta ho use maaro or yeh bhi likha hai sab dusre dharm ke logo ko maar kar unki wife se 13 bacche paida karo agar uske phele se baache hai agar unme ek ladki bhi hai toh us ladki se bhi shaadi karo or usse bhi 13 baache paida karo. So, Islam is Very Very Very Matlab itna ki koi Last Stop point nahi hai Itna Kharaab, jahil religion hai

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  42. इस्लाम मजहब को मानने वाले लोग इस्लाम के नाम पर आतंकवादी संगठन बना रहे है उन पर फतवा जारी क्यों नहीं करते,

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  43. Kuttepane ki sari inteha khatm kar di blogspot nhi black spot ho.utha k juta muh tod dege o zahar failaya suar.

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  44. आज दुनिया मे Ex Muslims की तादाद तेजी से बढ़ रही है, यद्यपि सर तन से जुदा वाली धमकियों के कारण ये लोग छुप कर रह रहे हैं। ये मुसलमान कुरान का गहराई से अध्ययन किये तब जाकर उन्हें गन्दगी का पता चला और उन्होंने इस गन्दगी से आजाद होने का फैसला किया। इसमें एक मुस्लिम सचवाला जी है जो 25 साल सऊदी अरब के एक मस्जिद में इमाम थे। ये अरबी के बड़े विद्वान है। इनके सामने कोई मुफ़्ती मौलवी ठहर नही पाता। कुरान और हदीसो के बारीक अध्ययन के बाद हजारो लोगो ने इस्लाम छोड़कर स्वतंत्र जीवन जीने में ही भलाई समझा। आज भी इस्लाम छोड़ने वाले को मौत की सजा है। स्पार्टकस, हारिस, गालिब जैसे सैकड़ो पाकिस्तानी ex muslims है, जिनके सामने किसी के भी कुरान का ज्ञान धरा का धरा रह जाता है। इस्लाम बच्चों को बचपन से ही ब्रेनवाश कर रहा है, जेहादी बना रहा है इसलिये ये बच्चे जब बड़े हो रहे हैं तो पूरी तरह से बंद दिमाग के पैदा हो रहे हैं और इस्लाम के खिलाफ कुछ भी नही सुन पा रहे हैं। इस्लाम मानवता का सबसे बड़ा शत्रु बन चुका है।

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  45. Hrami suar halala ki paidayish acha hua suar hajrat dalla Mr gya wrna us hrami ko ajj muh chipane ko jgh n milty Sale suar ko.hrami khi n khi gndi nali me reng rha hoga suar muhmd hajrat hrami dalla Mc bahra suar bhdwa allah dalla..

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  46. https://uphistry.blogspot.com/2023/04/---kuran-ki-ayaat-surah-para-ayaat-kuran%20-Hindi-islmic-se-bache-kuran-ki-sachchai-%20%20%20.html

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