Sunday 17 May 2015

सत्ता खोने से पाप नहीं धुल जाते, पापी कभी पुण्यात्मा नहीं बन जाते -

मोदी सरकार बनने के बाद दिल में ढ़ेरों उम्मीदें थी, सभी पूरी नहीं हुर्इ, पर विश्वास जगा हैं, क्योंकि जिनके इरादे नेक हों, नीयत पर संदेह नहीं हो, उन पर भरोसा किया जा सकता है। वे इंसान ही हैं, देवता नहीं है, जो चमत्कार कर सकते हैं, किन्तु जिनकी राह सही हो, मन में मेहनत करने का जज्बा हों, तो मंजिल दूर हो सकती है, पर उस तक पहुंचना नामुमकिन नहीं रहता।

वर्षों बाद भारत में एक ऐसी सरकार बनी है, जो पूरी शिद्दत काम कर रही है। देश की समस्याओं को सुलझाने की लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है। अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे हैं, उसका दोष उनका नहीं है, उस सड़ी-गली व्यवस्था का है, जो उन्हें विरासत में मिली है। देश के सामने जो ढ़ेरो समस्याओं का पहाड़ नज़र आ रहा है, वह एक साल में नहीं बना है, इससे बनने में वर्षों लगे हैं। इस तथ्य को झूठलाया नहीं जा सकता कि पिछली सरकारों ने देश की जनता के लिए समस्याओं का पहाड़ खड़ा किया है। उन सरकारों से जुड़े रहने वाले और बाहर से समर्थन दे कर जीवनदान देने वाले सारे नेता बड़ी ही बेशर्मी से सारें पापों का दोष नर्इ सरकार पर डाल अपने पापों से मुक्ति पाने की कोशिश कर रहे हैं। कह रहे हैं- आपने वादा किया था, देश की जनता को सारी समस्याओं से मुक्ति दिला देंगे, फिर क्यों नहीं दिला पाएं ?

सरकार बदलने से आप अपने पापों से मुक्त नहीं हो गये। आपके कलंक को नर्इ सरकार मिटाने का प्रयास कर रही है, इसका मतलब यह नहीं कि जो ऐसा कर रहे हैं, वे ही पापी है और पाप करने वाले पुण्यात्मा हो गये। यह तो उलटा चोर कोतवाल को डांटे जैसी कहावत हो गर्इ। आपने पूरी सरकारी प्रशासनिक व्यवस्था को भ्रष्ट, अकर्मण्य व ठीठ बना दिया, क्योंकि आप स्वयं भ्रष्ट थे, किन्तु अब कह रहे हैं- भ्रष्टाचार खत्म करने का वादा किया था, मिटाया क्यों नहीं ?

आपके शासनकाल में काले धन का खूब उत्पादन हुआ, जिसे आपने रोका नहीं, क्योंकि आप स्वयं कालाधन बनाने में लगे थे। वर्षों से देश का धन बाहर जा रहा था, आपने जाने दिया, क्योंकि आप भी इस बहती गंगा में हाथ धो रहे थे। अब ताल ठोक कर बड़ी बेशर्मी से कह रहे हैं- आप विदेशों में जमा काले धन को ला रहे थे, क्यों नहीं ला पाये ? उनकी बातों से लगता है, पुलिस का डंड़ा हाथ में लिया है, तो चोरों को पकड़ कर बताओं। बेहतर है यही सवाल अपने मन में बैठे चोर से पूछते तो जवाब आता- – चोर तो हम भी हैं, यदि विदेशों में जमा काले धन की सूची में हमारा नाम भी आ गया तब ? पर ऐसा नहीं करते हैं और अपने आपको ढाढ़स बंधाते हुए कहते हैं-घबराने की बात नहीं है। काले धन को जहां छुपा रखा है, उसकी पर्तें उधेड़ने में पांच साल लगा जायेंगे। तब तक काले धन को ले कर खूब शोर मचाओं, क्योंकि अपराधी जब तक पकड़े नहीं जायेंगे, सीना चौड़ा कर सरकार को कठघरें में खड़ा करते रहेंगे। भारत की मूर्ख जनत के पास ज्यादा अक्ल तो हैं नहीं। हमारा शोर सुन कर हमारी हो जायेगी। पांच साल तक ये कुछ नहीं कर पायेंगे औंर पांच साल बाद फिर हम आ जायेंगे। ये लाख सर पटक लें, कुछ नहीं कर पायेंगे। इन्हें जुम्मे-जुम्मे आये चार दिन हुए हैं, हम वर्षों से सत्ता में रहे हैं। हमारी चालाकियों को न ये समझ पायेंगे और न ही हमारा बाल भी बांका कर पायेंगे।

लाखों एकड़ जमीन किसानों से छीन कर उद्योगपतियों और बिल्ड़रों को दे दी, बाद में एक अध्यादेश ला कर अपने पापों का प्रायश्चित कर लिया। अब नर्इ सरकार को बदनाम कर रहे हैं कि ये किसानों की जमीन छीन कर उद्योगपतियों को दे रही है। जबकि मोदी सरकार ने न तो किसानों से जमीन छीनी है और न ही पूंजीपतियों को दी है। पाप किये ही नहीं, उसके पहले भ्रातियां फैला पापी बता रहे हैं, किन्तु आपने तो पाप कर लिया, उसका जवाब देने के लिए क्यों बगले झांक रहे हैं ? मोदी सरकार को चाहिये कि पिछले अड़सठ वर्षों में केन्द्र और प्रान्तों की सरकारों ने जितनी जमीन किसानों से छीन कर पूंजीपतियों को दी है, उसका पूरा विवरण सार्वजनिक कर, इनके चेहरे पर कालिख पोत दें, ताकि जनता के बीच में जब भी शोर मचाने जायें, जनता उन्हें आर्इना दिखा सकें।

चुनाव हार गये। सरकार चली गयी, इसलिए जितने घोटाले-घपले कर राजकोषीय घाटा बढ़ा महंगार्इ बढ़ार्इ, उससे अपने आपको पूरी तरह दोषमुक्त समझ रहे हैं। अब इस बात का जवाब मांग रहें हैं कि हमारे करमों से देश में इतनी महंगार्इ बढ़ गर्इ थी, उसे आप एक साल में कम क्यों नहीं कर पाये ? महंगार्इ की गाड़ी जो तेजी से आगे बढ़ रही थी, उसे नर्इ सरकार ने रोक दी है और अब पूरी ताकत से उसे पीछे की तरफ धेकेलने की कोशिश की जा रही हैं, परन्तु वे इससे संतुष्ट नहीं हैं और सवाल कर रहे हैं-महंगार्इ कम करने का वादा किया था, उसमें आप नाकामयाब कैसे रहें ? आपको एक साल में महंगार्इ को कम कर वही ले जाना था, जहां यह दस साल पहले थी और जिसे बढ़ाते-बढ़ाते हम आज यहां तक ले कर आये हैं।
दस वर्षों मे देश की आर्थिक प्रगति अवरुद्ध हो गर्इ, जिससे करोड़ो नये रोजगार का सृजन नहीं हुआ, परन्तु सवाल पूछ रहे हैं-आपने एक साल में कितनी नौकरियां पैदा की ? मोदी सरकार आर्थिक दशा सुधारने की भरसक कोशिश कर रही है, उससे उन्हें कोर्इ मतलब नहीं। विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए एक साल से प्रधानमंत्री विदेशी सरकारों और उद्योगपतियों के साथ बेहतर संबंध बनाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। निकट भविष्य में भारत में निवेश आ भी रहा है, जिससे नये रोजगार भी पैदा होंगे, पर वे पूछ रहे हैं, कल क्या होगा, इसके बारे में हम कुछ सुनना नहीं चाहते, हमे तो आज का हिसाब चाहिये।

एक साल तक सता खोने का मातम मनाया अब सत्ता पाने के लिए तड़फ रहे हैं। खीझ कर मोदी सरकार की राह में रोज कांटे बिछा रहे हैं। विकास के रथ को रोकने के लिए जी जान से लगे हुए है। पहले अल्पसंख्यकों के दर्द में दुबले हो कर रोते थे, पर आजकल उन्हें भूल कर किसानों की पीड़ा पर आंसू बहा रहे हैं। किसानों की दुर्दशा के स्वयं जिम्मेदार है, पर नर्इ सरकार पर दोष मंढ़ने के लिए रोज नौटंकियां कर रहे हैं। उन्हें ऐसी खुशफहमी है कि गरीबी और अभावों के अथाह सागर के भंवर में फंसी भारतीय जनता उन खलनायकों को भूल गर्इ हैं, जिन्होंने उसे यहां तक पहुंचाया है। सत्ता जाते ही स्वयं ही अपने आपको दोषमुक्त समझ रहे हैं। पर ऐसा है नहीं। दोषियों को जनता ने सजा दे दी हैं और भविष्य में भी चोरों को सत्ता सौंप कर भारत की जनता अपनी पिछली गलतियां फिर नहीं दोहरायेगी।

अगर आप सहमत है तो इस सचाई "शेयर " कर के उजागर करे।

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