Wednesday 27 May 2015

चोरी तो नहीं की, डाका तो नहीं डाला, मोदी जी ने सत्ता ही तो छीनी है -

मोदी जी ने दिन रात काम किया। देश को अपने एक एक पल का हिसाब दिया, फिर भी ढो़ल पीट-पीट कर देश भर में कांग्रेसी मातम मना रहे है। यह मोदी सरकार की विफलता के प्रति आक्रोश नहीं, सत्ता खोने की पहली बरसी पर व्यक्त की जा रही पीड़ा है, जिसे मोदी सरकार को कोसते हुए मना रहे हैं। मन के भीतर का दर्द छुपाये छुप नहीं रहा। जैसे-तैसे एक साल तो बीत गया, पर पहाड़ से चार साल कैसे बीतेंगे ? इन चार सालों में भी प्रदीप बैंजल जैसे धोखेबाज किताबी बम फोड़ते रहेंगे, तो हमारी सारी मेहनत पर पानी फिर जायेगा।

सभी कांग्रेसियों के मन में जलन है, खीझ है, पर देश की जनता को समझा रहे हैं, हमारी महारानी के हाथ से सत्ता छीन कर एक साधरण आदमी के हाथ में सत्ता की डोर थमा कर भारत की जनता ने अनर्थ कर दिया। जब इस आदमी को हम देश चलाने के लिए काबिल नहीं मानते, फिर जनता ने ऐसा घोर पाप क्यों किया ? हमने देश की जनता को गरीबी और महंगार्इ की सौगात दी, किन्तु मोदी ने गरीबी हटाने और महंगार्इ कम करने का वाद किया था, वादा क्यों नहीं निभाया ? हम भ्रष्ट थे, पूरे देश को भ्रष्टाचार में आंकठ डूबा दिया, मोदी ने आ कर देश से भ्रष्टाचार क्यों नहीं मिटाया ? हमने दस सालों में बैरोजगारी बढ़ार्इ, इन्हें एक साल में सारे बैरोजगारों को नौकरियां देनी थी, क्यों नहीं दी ? हमने खूब काला धन विदेश भेजा, इन्हें तो वापास लाना था, क्यों नहीं ला पाये ?

आज सत्ता के बिना हमारी महारानी छटपटा रही है। युवराज बावला हो कर देश भर में जो मन आया बकता फिर रहा है। आखिर जनता को हमारे अधिकार छीनने की क्या जरुरत थी ? हमारी महारानी का राज नहीं रहा। हम सभी चाटुकार संस्कृति के सेवक अनाथ हो गये। राज परिवार की चरण रज से ही तो हमारा राजनीतिक जीवन महकता है। खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं। अब जब परिवार विपत्ती में हैं तो हम कैसे चैन से बैठ सकते हैं। इसलिए हमने ठान लिया है- मोदी सरकार चाहे जितना अच्छा काम करें, हम उसे हमेशा जीरों देते रहेंगे। जनता में भ्रान्तियां फैलाते रहेंगे। हम सभी सेवक चार साल तक मोदी सरकार को बदनाम करने और जनता की नज़रो से गिराने का भरसक प्रयास करते रहेंगे। हमे आशा है एक दिन हमारी मेहनत रंग लाएगी। हमारा युवराज देश की बागड़ोर सम्भालेगा। हमारे बुरे दिन जायेंगे। अच्छे दिन आयेंगे। बैरोजगारी मिटेगी। महारानी खुश हो कर हमें रेवड़िया बांटेगी।

हमने चाहे जितने घपले-घोटाले किये हों, देश के खजाने पर डाका डाला हों, पर इस देश पर हुकूमत करने का अधिकार हमारे राजपरिवार का ही है। हम चाटुकार आज जो कुछ भी है, इस परिवार की कृपा से ही है। मोदी सरकार ने चाहे एक साल में चोरी नहीं की, डाका नहीं डाला, फिर भी उसने कोर्इ काम नहीं किया। हमने कम से कम यह काम तो किया था। अगर ऐसा काम करना नहीं आता था, तो हमसे ही सीख लेते। हमारे भी पाप छुप जाते और आप भी पापी नहीं कहलाते, क्योंकि एक चोर दूसरे चोर को चोर नहीं कहता।

संड़ाध मार रही व्यवस्था पर इत्र छिड़कने से इसकी दुर्गन्ध नहीं मिट जाती। सतसठ साल से जमा कीचड़ को तीन सौ पैंसठ दिन में साफ करना नामुमकिन है। इस पूरी गंदगी को साफ कर एक साफ सुथरा, भ्रष्टाचार मुक्त विकसित व समृद्ध भारत बनाने के लिए मोदी सरकार को जनता ने पांच वर्ष का जनादेश दिया है। सरकार इसमें कितनी सफल होती है और जनता की अपेक्षाओं पर कितनी खरी उतरती है, इसका फैंसला जनता करेगी। उन्हें फैंसला करने और सरकार को पास-फैल करने का कोर्इ अधिकार नहीं हैं, जो दस वर्ष तक सड़ांध मार रही व्यवस्था को साफ करने के बजाय इसमें और अधिक कीचड़ उड़ेलते रहे है। वैसे भी सजा सुनाने का अधिकार न्यायाधीश को होता है, किसी मुजरिम को नहीं। भारत की जनता न्यायाधीश है, वही चार साल बाद मोदी सरकार के कामकाज का लेखा जोखा कर फैंसला सुना देगी। जो मुजरिम थे और जिन्हें जनता ने मुजरिम ठहराया है, उन्हें सरकार के पक्ष में अनर्गल संवाद करने और तथ्यहीन आरोप लगाने का कोर्इ नैतिक अधिकार नहीं है।

चोर रात में नहीं, दिन में सूट-बूट पहन कर आते है। इस तरह का जुमला सुनाने वाले पहले इस बात का जवाब दें कि दस सालों में जो बारह लाख करोड़ रुपये के घपले-घोटाले किये हैं, वह धन कहां है ? अपनी निजी यात्राओं पर हर वर्ष करोड़ो रुपये फूंकते हैं, वह धन कहां से लाये ? यदि वह चोरी का धन है, तो चोर कौन हुआ ? क्या यह जुमला सही नहीं है कि चोरों को ही सारे चोर नज़र आते हैं। मोदी सरकार भी आप ही की तरह सरकारी खजाने पर ड़ाके डालती और देश की सम्पदा को लूटेरे को लूटने देती, क्या तब उस सरकार को आप दस में से दस नम्बर देते ? आप जीरो नम्बर इसलिए दे रहें है क्योंकि एक साल में मोदी सरकार ने खजाने से एक पैसे की हेराफेरी नहीं की। न खाया और खाने दिये के अपने वादे पर कायम रही। सच भी है, खाने वाले और खिलाने वालों को ऐसी सरकारें कहां पसंद आ सकती है ?

एक के बाद एक सरकारी अफसर किताबे लिख कर जो बाते उगल रहे हैं, उसका खंड़न करने क्यों नहीं स्वंय आते ? जनता के बीच स्वयं जा कर यह बात क्यों नहीं कहते कि हम चोर नहीं है, हमने चोरी नहीं की है ? क्यों अपने चाटुकारों को सफार्इ देने के लिए भेजते हैं ? देश की जनता आपकी बकवास सुन कर बहुत आक्रोशित है। वह जानना चाहती है कि यदि मोदी सरकार ने एक साल में कोर्इ काम नहीं किया, तो आपने दस साल में क्या काम किया, उसका पहले हिसाब दें ?

शायद कांग्रेसी नेताओं को इस बात की खुशफहमी है कि जनता कुछ नहीं जानती, उसके सामने झूठ को प्रभावी ढंग से समझाया जाय, तो वह उसे सच मान लेती है। भारत की राजनीति में इन दिनों प्रचलित केजरीवाल शैली का कांग्रेसी नेताओं पर खासा प्रभाव पड़ रहा है। केजरीवाल का राजनीतिक दर्शन कहता है कि जनता के बीच अपने प्रतिद्वंद्वी पर झूठे आरोप जोर-जोर से बोल कर लगाओ, जनता झूठ को सच मान लेगी। बात का बतंगड़ करों। अनावश्यक विवाद पैदा करों। जनता के बीच कर्इ तरह की भ्रांतियां फैलाओं, जिससे जनता आपके विरोधी से चिढ़ जायेगी और वह थक हार कर आपकी शरण में आ जायेगी।

केजरीवाल मोदी सरकार के विरुद्ध दिल्ली में नौटंकियां कर रहे है और कांग्रेसी नेता केजरीवाल बन पूरे देश में मोदी सरकार के विरुद्ध दुष्प्रचार कर रहे है। लगता है दोनो मिल कर राजनीतिक चालें चल रहे हैं। किस को कितनी सफलता मिलती है यह तो भविष्य ही बताएगा, किन्तु यह हकीकत है कि झूठ के पांव ज्यादा लम्बे नहीं होते। सच की जीत होती है। झूठ की हार होती है। झूठ की बुनियाद पर खड़ी की गर्इ राजनीति की दीवार एक दिन भरभरा कर गिर जायेगी।

अगर आप सहमत है तो इस सचाई "शेयर " कर के उजागर करे।

हमने मुल्क को तबाह करने की सुपारी ली है जी -

हम देश के संविधान को सत्ता पर चढ़ने की सीढ़ी मानते हैं जी। संविधान की शपथ लें, कुर्सी पर बैठ गये, फिर संविधान की धाराओं को पांवों के तले रौंद रहें है जी। हमे देश की प्रशासनिक व्यवस्था से कोर्इ सरोकार नहीं। हमने इसे बर्बाद करने का मानस बना लिया है। हमने अपने छियांसठ विधायकों को मंत्री या मंत्री जितनी सुविधाएं दिला दीं। उन्हें सचिवालय में कमरे और स्टाफ दिला दियें। आर्इएस अफसरों को हमने खाली बिठा रखा है। जो हमारे अपने थे, उन्हें काम दिया, ऑफिस दिये, बाकि बहुत सारे खाली बैठें हैं, क्योंकि न तो हमारे पास उनको देने के लिए काम है और न ही बिठाने के लिए जगह। दरअसल स्थापित नियम, कानून और लोकतांत्रिक परम्पराओं को हम नहीं मानते, क्योंकि हमे अराजक कहते हैं। हम अराजक हैं और अराजक रहेंगे। खबरों में बने रहने के लिए हम वे सारे अराजक काम करते रहेंगे, ताकि पूरे देश की जनता रोज टीवी पर हमारे दर्शन करती रहें। हम कोर्इ सरकार चलाने या काम करने थोड़े ही आये हैं, हम तो अपने व्यक्तित्व को चमकाने आये है। व्यवस्था के विरुद्ध जनता को विद्रोही बनाने आये हैं।

हम शहरी नक्सली है जी ! हम शब्दों की गोलियों और सफेद झूठ के धमाकों से अपने दुश्मनों को ललकारते हैं। जंगल में रहनेवालें नक्सलियों की तरह हमे धमाके करने और गोलियां बरसाने के बाद जंगलों मे छुपना नहीं पड़ता। हम सीना तान कर घूमते हैं। हमे इस देश के कानून की धाराएं पकड़ ही नहीं सकती, क्योंकि हम खून नहीं करते, लोगों का दिमाग खराब करते हैं, ताकि सभी हमारी तरह अराजक बन जायें। जंगली नक्सली राजनीतिक व्यवस्था को नहीं मानते। वे जंगल में रह कर इस व्यवस्था को नष्ट करना चाहते हैं। हम शहरी नक्सली व्यवस्था मे घुस कर और राजनेता बन कर व्यवस्था को तबाह करना चाहता है।

नक्सलियों की भी भारत के संविधान में आस्था नहीं हैं, हमारी भी नहीं है। वे व्यवस्था के विरुद्ध खुला विद्रोह कर रहे हैं। हमारा छुपा हुआ एजेंड़ा भी यही है। संविधान को हम भी नहीं मानते, किन्तु संविधान से लाभ उठा कर देश की राजनीतिक व्यवस्था को नष्ट कर हम अपने लिए नर्इ व्यवस्था बनाना चाहते हैं, ताकि हम दिल्ली प्रदेश के नहीं, पूरे भारत के तानाशाह बन जायें। हमे विरोध और विरोधी पसंद नहीं हैं। यदि हमारा मकसद पूरा हो गया तो पांच साल बाद फिर जनता के पास वोटों की भीख मांगने की जरुरत नहीं होगी। जैसे हमने अपनी पार्टी और विधानसभा में अपने सारे विरोधियों को ठिकाने लगा दिया, वैसे ही तानाशाह बन कर हम देश भर में अपने विरोध और विरोधियों को खत्म कर देंगे। आप समझ गये न, हमारे इरादे कितने खतरनाक हैं जी ! हम सिस्टम में घुस कर इसे पूरी तरह नष्ट करना चाहते हैं। जनता ने कांग्रेस को ठुकरा दिय। अब मुल्क चार साल तक हमारी नौटंकिया देखेगा। इन्हीं नौंटकियों की बदौलत हम चार साल बाद भाजपा को सत्ता से हटा देंगे। दिल्ली विधानसभा जैसा प्रचण्ड़ बहुमत हमने भारतीय संसद में पा लिया तो निश्चित रुप से इस देश का संविधान बदल कर भारत के तानाशाह बन जायेंगे। इसके बाद देश में न सवंिधान रहेगा, न हमारे विरोधी रहेंगे। बस हम ही हम रहेंगे।

पूरे देश के किसानों को अराजक बनाने के लिए हमने एक किसान को हमारी सभा के मंच के पास ही मरवा दिया और इस देश का कानून हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सका। मीडिया की दगाबाजी से हमारा सारा प्लान फ्लाप हो गया। यदि हमारा प्लान सफल हो जाता, तो पूरे देश के किसानों को अराजक बना कर मोदी सरकार के विरुद्ध खड़ा कर देते।

हमारा एक प्लान फेल हो गया इसका मतलब यह नहीं है कि हम भविष्य और नये प्लान ले कर नहीं आयेंगे। दरअसल भारत की राजनीतिक व्यवस्था को तबाह करने के लिए हमने सुपारी ली है। जिन्होंने सुपारी दी हैं, उन्होंने दिल्ली का चुनाव लड़ने के लिए धन भी दिया था, अपने आदमी भी प्रचार में भी लगायें थे। उनका मकसद था- मोदी के घंमड़ का चूर-चूर करना, जो हमने कर दिखाया। अब हमारी योजना हैं-भारत की राजनीति से मोदी के वर्चस्व को समाप्त करना, इसकेलिए हम कर्इ योजनाओं पर काम कर रहे हैं, जिनका मकसद है- भारत को आर्थिक व राजनीतिक दृष्टि से तबाह करना। पूरे देश की जनता को विद्रोही बना कर अपने वश में करना।

दिल्ली तो हमारी प्रयोगशाला हैं, जहां हम शासन नहीं कर रहे हैं, दिल्ली को अराजक क्षे़त्र बनाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं। जो वादे चुनाव जीतने के लिए किये थे, वे पूरे होंगे नहीं, क्योंकि इतना पैसा है नहीं। बिजली के दाम आधे करने का बाद विकास के लिए धन बचा ही नहीं है। पर काम किसे करना है और शासन किसे चलाना है। हमे तो अपने सारे विधायकों को संतुष्ट कर चुपचाप बिठाना चाहते हैं, ताकि वे हमारे खिलाप मोर्चा बन्दी नहीं करें। इसलिए हमने उन्हें मौखिख सलाह दे रखी है- भ्रष्टाचार कर जितना पैसा कमाना चाहते हों, कमाते रहो। मैं रिश्वत नहीं लेने और रिश्वत नहीं देने के पोस्टर लगा कर भ्रष्टाचार दूर करता रहुंगा। मैं जनता को झूठ-मूठ ही समझाता रहुंगा कि देखो मेरे आने के बाद दिल्ली में भ्रष्टाचार खत्म हो गया है। अफसरों के माथे पर भ्रष्टाचार के पाप का मटका फोड़ कर उन्हें बदनाम करता रहुंगा। मैं भी अफसर रहा हूं और जानता हूं कि बिना मंत्रियों के मिलीभगत के अफसर भ्रष्टाचार नहीं कर सकता, पर उन्हें बदनाम करने में अपना क्या जाता है।

हमारा मकसद है-दिल्ली की सत्ता हाथ में आने के बाद केन्द्र सरकार के विरुद्ध न खत्म होने वाले संघर्ष की शुरुआत करना, जो हमने कर दी है। दिल्ली के राज्यपाल को तो जंग के लिए हमने मोहरा बनाया है। दरसअल हम अपने झूठ, प्रपंच और नौटंकी कला से केन्द्र सरकार को परेशान करना चाहते हैं। थोड़े दिनों बाद उपमुख्यमंत्री को पूरा चार्ज दे कर हम देश भर में घूमेंगे और जनता को केन्द्र सरकार के विरुद्ध भड़कायेंगे। वैसे राहुल हमे गुरु मान कर हमारी ही नीतियों का अनुशरण कर रहे हैं। पर आप जानते हैं, राहुल राजनीति के कच्चे खिलाड़ी है। वे जानते नहीं कि वे जा रास्ता बना रहे हैं, उस पर एक दिन हम दौडेंगे और उन्हें मिलों पीछे छोड़ देंगे। चार साल बाद भाजपा को सत्ता से राहुल नहीं, हम हटायेंगे, क्योंकि हमारे पास दिमाग है, तिकड़म है और विदेश में बैठे अपने एक प्रिय साथी का साथ हैं । साथी हमारे लिए प्रचुर धन का जुगाड़ करेगा। देश में काम कर रहे विदेशी मालिकों के मीडिया भी हमारा साथ देंगे। क्योंकि हमारा भारत मूर्खों का देश हैं। आपके पास जनता को मूर्ख बनाने की कला है, तो आप हर बाजी जीतते जायेंगे। दिल्ली में हमने वह करिश्मा कर दिखाया। दिल्ली की जनता की मूर्खता का लाभ उठाया। अब पूरे देश की जनता की मूर्खता का लाभ उठा कर भारत की शासन व्यवस्था को अपनी मुट्ठी में करना है। हमारे विदेशी साथी की भारत को तबाह करने की दिल्ली इच्छा यही हैं, जिसे हमे पूरा करना है, क्योंकि वह भी यह चाहता है कि भारत की सत्ता ऐसे आदमी के पास हो, जो उसके इशारे पर काम करें। हम उनके अहसान को पूरा करने के लिए जी जान एक कर देंगे, क्योंकि उनसे सुपारी जो ली है, जी!

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दस सालों के कुशासन पर कोर्इ रंज नहीं, एक साल के सुशासन पर सवालों की बौछार क्यों ?


यूपीए एक का पूरा कार्यकाल सत्ता पाने की खुमारी में ही निकल गया। मनरेगा ने 2009 में फिर सत्ता दिला दीं। उपलब्धियों के बजाय नाकामयाबियां ज्यादा होने पर भी सत्ता मिल गर्इ । मजा आ गया। यह खुशफहमी हो गर्इ कि सत्ता हमसे कोर्इ छीन नहीं सकता, क्योंकि भारत पर शासन करने का हमारा खानदानी हक है। निश्चिंत हो कर यूपीए दो के कार्यकाल में जी भर के घपले-घोटाले किये।

देश के प्राकृतिक संसाधनों की बेबाक व बेशर्म लूट से देश की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गर्इ। राजकोषीय घाटा बढ़ता गया। औद्योगिक उत्पादन घटता गया। बैरोजगारी और महंगार्इ बढ़ती गर्इ। अभावों ने देश के करोड़ो लोगों का सुख चैन लिया, किन्तु इन सब बातों से बेखबखर अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री आंखें बंद कर बैठे रहें। सीएजी ने जब पूरे देश का ध्यान कर्इ लाख करोड़ रुपये कि हेरा फेरी की ओर दिलाया तब प्रधानमंत्री ने नपे तुले शब्दों में जवाब दिये- मैं कुछ नहीं जानता। मैने कुछ नहीं किया। और सरकार के प्रवक्ता संसद और बाहर कहते रहे- सीएजी झूठ बोलती है। एक पैसा का घोटाला नहीं हुआ।

कांग्रेसी नेताओं को इस बात पर किंचित भी अफसोस नहीं है कि उन्होंने देश की करोड़ो जनता का भरोसा क्यों तोड़ा ? इस बात पर भी आत्ममंथन नहीं करते कि जनता ने क्यों उनकी पार्टी को सत्ता से उठा कर जमीन पर पटक दिया। पार्टी की आज ऐसी हालत हो गयी है कि वह उठ कर चल भी नहीं पा रही है। केन्द्र की सत्ता गर्इ। अधिकांश राज्यों से सूपड़ा साफ हो गया। फिर भी पता नहीं क्यों कांग्रेसी नेताओं को इस बात का आत्माभिमान है कि उन्होंने चाहे जितने पाप किये हों, किन्तु भारत की जनता के पास पुन: उन्हें सत्ता सौंपने के अलावा कोर्इ विकल्प ही नहीं है ? कांग्रेसी नेता पार्टी की ऐसी दुर्गति होने के बावजूद भी इस सोच से अपने आपको मुक्त नहीं कर पाये हैं कि भारत पर शासन करने का हक एक परिवार का ही है। चाहे वह परिवार कैसा भी हों, हम उसे उनका हक दिला कर ही रहेंगे। क्या कांग्रेसियों की लोकतंत्र में आस्था ही नहीं है ? जब कि भारत की जनता ने सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के लिए उस परिवार को ठुकरा दिया है, फिर क्यों वे एक परिवार की परिक्रमा करने से ही अपने आपको धन्य समझ रहे हैं।

जो गले तक भ्रष्टाचार के कीचड़ में धंसे हुए हों, उन्हें साफ सुथरी जमीन पर चल रहे र्इमानदार लोगों से प्रश्न पूछने का अधिकार नहीं होता है। देश को जिन्होंने दस साल तक कुशासन दिया, उसकी कोर्इ सफार्इ नहीं दे पा रहे हैं, पर एक साल के सुशासन पर सवाल उठा रहे हैं ? सच सामने आ रहा है, फिर भी किंचित मात्र भी शर्म नहीं। जनता के मन में एक पार्टी के प्रति वितृष्णा भर गर्इ है, फिर भी अहंकार जस का तस है।

यदि आंख पर से गरुर का पर्दा हटा कर देखेंगे तो सब कुछ साफ-साफ दिखार्इ देगा। मोदी सरकार के एक साल के कार्यकाल का हिसाब पूछने वाले पहले यह बताएं कि उनके मंत्री दस वर्षों तक अपने-अपने कार्यालय में कितने घंटे बैठे ? यदि वे हिसाब बता पायेंगे तो उन्हें मालूम हो जायेगा कि मोदी सरकार के मंत्रियों ने एक वर्ष में जितने घंटे ऑफिस में बैठ कर काम किया है, वह उनके दस वर्ष के काम के घंटों से अधिक है। मंत्री मौज मस्ती में डूबे रहते। कार्यालय में कभी कभार आतें। उसी फार्इल को अपने घर मंगवा लेते, जिसे निपटाने के लिए हार्इ कमान का आदेश आता।

प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं पर सवाल उठाने वालें क्या जानते हैं कि प्रधानमंत्री ने एक साल में अपने कार्यालय में बैठ कर जितने घंटे काम किया है, वह भी एक रिकार्ड़ है। पूर्व प्रधानमंत्री से सौ गुणा ज्यादा है, क्योंकि वे कभी कभी कुछ समय के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय आते थे। आ कर करते भी क्या ? फार्इले पहले छाया प्रधानमंत्री के पास भेजी जाती, फिर उनके पास मौखिक आदेश आता, जिस पर उन्हें आंख बंद कर अपने हस्ताक्षर करने रहते। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर ढ़ेरों सवाल उछालने वालों के पास क्या इस बात का जवाब है कि उनके प्रधानमंत्री इतने बेबस क्यों थे ? आज भारत का प्रधानमंत्री पद फिर शक्तिशाली हो गया है, उस पर उन्हें जलन क्यों हो रही है ?

क्या कांग्रेसी नेताओं के पास इस बात का भी जवाब है कि पहले हर मंत्रालय में फार्इलों के ढेर क्यों लगते थे ? क्यों उन्हें निपटाया नहीं जाता था ? निर्णय लेने में देरी क्यों होती थी ? फार्इलों पर निर्णय लेने के निर्देश प्रधानमंत्री कार्यालय देता था या किसी और जगह से निर्देश आते थे ? मोदी सरकार को एक व्यक्ति की सरकार बताने वालों को पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिये, फिर सरकार की ओर सवाल उछालने चाहिये। कांग्रेसी नेताओं को इस बात की जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिये कि उनके मंत्री जितनी फार्इले विरासत में छोड़ कर गये थे, वे सभी क्लीयर हो गर्इ है और नर्इ आने वाली फार्इले ठहरती नहीं, दौड़ती है, क्योंकि मंत्री स्वतंत्र हो कर काम कर रहे हैं। इसे ही पारदर्शी सुशासन कहते हैं, जो आपकी सरकार देश को नहीं दे पार्इ।

प्रधानमंत्री मोदी के महंगे सूट पर कटाक्ष करते समय क्या कांग्रेसी नेताओं को वह बात याद नहीं आती जब उनका गृहमंत्री बम विस्फोट में मारे गये लोगों को देखने के लिए महंगा सूट पहन कर गया था ? वे महाशय एक दिन में तीन बार घटनास्थल पर गये थे और तीनों बार वे अपने वस्त्र बदल-बदल कर गये थे। मोदी की विदेश नीति पर सवाल उठाने वालों को क्या अपने विदेश मंत्री की वह बात भी याद नहीं, जब वे एक अन्तरराष्ट्रीय मंच पर किसी और विषय का भाषण पढ़ देश की फजिअत कर आये थे। प्रधानमंत्री के विदेश दौरों का उपहास उड़ाने वालों को इस बात की भी जानकार जुटानी चाहिये कि प्रधानमंत्री के एक-एक पल का हिसाब देश को मिल सकता है, क्योंकि उन्होंने एक वर्ष मंष एक भी छुट्टी नहीं ली और एक भी निजी यात्रा नहीं की। किन्तु यदि वे राहुल गांधी के पिछले दस सालों का रिकार्ड़ खंगालेंगे तो उनके पांवों के नीचे से जमीन खिसक जायेगी, क्योंकि उन जनाब ने अपना अधिकांश समय देश में नहीं विदेश में बिताया था और निजी यात्राएं की थी। दस वर्षों तक वे संसद से नदारद रहें। संसद में सबसे कम बोलने का रिकार्ड़ भी उनके नाम है। मां-बेटे ने वायुसेना के विमानों का उपयोग कर कर्इ निजी व गोपनीय विदेश यात्राएं की थी। क्या इन सवालों का जवाब भी कांग्रेसी नेताओं के पास है ?

दस वर्षों में देश भर में सैंकड़ों बम विस्फोट हुए, हजरो निर्दोष नागरिक मारे गये, किन्तु प्रशासन अपाहिज बना रहा। बाटला हाऊस और अक्षधाम प्रकरण को फर्जी मुठभेड़ बता कर आतंकियों के प्रति सहानुभूति दर्शायी। ताज होटल की आतंकी घटना को भगवा आतंकवाद से जोड़ने की निर्लज्जता दिखार्इ। आज आतंकी घटनाएं रुक गर्इ है। क्या इसे सरकार की प्रशासनिक सफलता नहीं माना जा सकता ?
प्रतिकूल मौसम से फसले खराब हो गर्इ, फिर भी महंगार्इ नियंत्रण में है। राजकोषीय घाटा कम हो रहा है। अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत आ रहे हैं। विदेशी निवेश बढ़ रहा है। सरकार के कामों में लाख अवरोध खड़े करने के बाद भी सरकार पूर्ण प्रतिबद्धता और र्इमानदारी से काम कर रही है, फिर भी सारे सवाल एक साल बाद ही क्यों पूछे जा रहे हैं ? जबकि सरकार को पांच वर्ष तक काम करने का जनादेश मिला है। कांग्रेसी नेता जिस तरह बावले हो रहे हैं, क्या उससे नहीं लगता कि वे सत्ता के बिना तड़फ रहे हैं ? उनकी सब्र का बांध टूट रहा है।

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Tuesday 26 May 2015

सही बात है मोदी ने कुछ काम नही किया है ।। देखो हर साल कांग्रेस कितना काम करती थी -



सही बात है मोदी ने कुछ काम नही किया है ।।
देखो हर साल कांग्रेस कितना काम करती थी
।।खोदकर लाया हूँ उनके काम ।।
2011 -2जी स्पेक्ट्रम घोटाला 1,76,000 करोड़
2011 कॉमन वेल्थ घोटाला 70,000 करोड़
2010 आदर्श घर घोटाला 900 करोड़
2010S बैंड स्पेक्ट्रम घोटाला 2,00,000 करोड़
2010खाद्यान घोटाला 35,000 करोड़
2009 चावल निर्यात घोटाला 2,500 करोड़
2009 उड़ीसा खदान घोटाला7,000 करोड़
2009 झारखण्ड खदान घोटाला 4,000करोड़
2009झारखण्ड मेडिकल उपकरण घोटाला
130करोड़
2008हसन् अली हवाला घोटाला 39,120 करोड़
2008 काला धन 2,10,000 करोड
2008 स्टेट बैंक ऑफ़ सौराष्ट्र 95 करोड़
2008 सैन्य राशन घोटाला5,000 करोड़
2008 सत्यम घोटाला 8,000 करोड
2006पंजाब सिटी सेंटर घोटाला 1,500 करोड़
2006ताज कॉरिडोर घोटाला 175 करोड़
2005 आई पि ओ कॉरिडोर घोटाला1,000
करोड़
2005 बिहार बाढ़ आपदा घोटाला 17 करोड़
2005 सौरपियन पनडुब्बी घोटाला 18,978
करोड़
2003 स्टाम्प घोटाला 20,000 करोड़
2002 संजय अग्रवाल गृह निवेश घोटाला 600
करोड़
2002कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज घोटाला 120
करोड़
2001केतन पारिख प्रतिभूति घोटाला 1,000
करोड़
2001UTI घोटाला 32 करोड़
2001 डालमिया शेयर घोटाला 595 करोड़
1998 टीक पौध घोटाला 8,000 करोड़
1998 उदय गोयल कृषि उपज घोटाला 210 करोड़
1997 बिहार भूमि घोटाला 400 करोड़
1997 सुखराम टेलिकॉम घोटाला 1,500 करोड़
1997SNC पॉवेर प्रोजेक्ट घोटाला 374 करोड़
1997 म्यूच्यूअल फण्ड घोटाला 1,200 करोड़
1996 उर्वरक आयत घोटाला 1,300 करोड़
1996यूरिया घोटाला 133 करोड
1996चारा घोटाला 950करोड़
1995मेघालय वन घोटाला300करोड़
1995 प्रेफ्रेंशल अलॉटमेंट घोटाला 5,000 करोड़
1995दीनार घोटाला (हवाला) 400करोड़
1995कॉबलर घोटाला 1,000 करोड़
1995 वीरेंदर गौतम (कस्टम टैक्स) घोटाला 43
करोड़
1994चीनी घोटाला 650 करोड़
1992हर्षद मेहता (शेयर घोटाला) 5,000 करोड़।।
बोफोर्स तोप घोटाला -राजीव गांधी 960
करोड़
सालो राम मंदिर और पेट्रोल पर रो रहे हो ।
इनमे से 5 के नाम भी पता था क्या ।
इतनी मेहनत कर रहा है पर तुम्हारी आदत है न हर चीज 
में डंडा करने की ।। अगर ये तंग आकर हट गया न तो
तुम्हे फिर यही कांग्रेस मिलेगी ।।
जितने भी उसके बाहर घूमने से परेशान है वो बाहर
हनीमून नही मना रहा ।। सुरक्षा मजबूत कर रहा
है देश की ।आज तुम सबको को किसान दिख रहे
हैं और जब यूरिया और खाद घोटाला हुये तो
कुछ नही दिखा ।।

अगर आप सहमत है तो इस सचाई "शेयर " कर के उजागर करे।

Sunday 24 May 2015

दिल्ली के.... जोकरीवाल सर्कस...के 100 दिन का हिसाब -



दिल्ली के.... जोकरीवाल सर्कस...के 100 दिन का हिसाब --
१) पहला हफ्ता :- शपथ ली, प्रेस कान्फ्रेंस करते रहे ..
२) दूसरा हफ्ता :- बेंगलूर के जिंदल हास्पिटल में सरकारी खर्चे पर खांसी का इलाज
३) तीसरा हफ्ता ;- दिल्ली आकर योगेन्द्र यादव और भूषण से झगडा शुरू ..नौटंकी चालू
4) चौथा हफ्ता :- दिल्ली म्युनसिपिल के मेयर और पार्षदो से झगडा ..करोडो रूपये लैप्स कर दिये लेकिन भूखे मर रहे सफाईकर्मियो का तीन माह का वेतन नहीं दिया...5) पांचवा हफ्ता ;- सफाईकर्मी हडताल पर ..दिल्ली की सडके और गलियां कचरे से भर गयी ...
6) छठवा हफ्ता :- भूषण और यादव से विवाद, बयानबाजी, टीवी नौटंकी चालू ...
7) सांतवा हफ्ता ..;- भूषण, यादव को लात मारकर बाहर करने का केजरी का आडियो टेप लीक हुआ..
8) आंठवा हफ्ता :- भूषण ,यादव को राष्ट्रीय सम्मेलन से बाहर किया और कुछ के साथ किराये बाउंसर ने मारपीट की...
9) नौ वा हफ्ता :- भूषण गैंग द्वारा अलग पार्टी बनाने की नौटंकी
10 ) दसवा हफ्ता :- किसान आंदोलन में किसान गजेन्द्र को आत्महत्या के लिए उकसाया गया...
11) ग्यारहवां हफ्ता ;- गजेन्द्र आत्महत्या पर विवादित बयान दिये ..जांच पर नौटंकी और आशुतोष कलुआ का मनहूसियत के साथ रोना ..
12) बारहवा हफ्ता :- LG से झगडा और मोदी सरकार पर आरोप लगाने की नौटंकी चालू है ....
दिल्ली वालो इन सौ दिनों में सिर्फ नौटंकी ,ड्रामा और सर्कस होता रहा ...नाकि कोई विकास का काम हुआ..... 


अगर आप सहमत है तो इस सचाई "शेयर " कर के उजागर करे।

Wednesday 20 May 2015

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी के विदेश यात्राओ का सच -

28 साल बाद कोई भारत का प्रधान मंत्री श्री लंका गया, नेपाल में कोई भारत का प्रधान मंत्री 17 साल बाद गया, ऑस्ट्रेलिया 28 साल बाद, Seychelles 34 साल बाद, Fiji 33 वर्ष, म्यांमार 25 वर्ष …… दिल्ली के लुटियन जोन वाले घोटाले, आरक्षण, लूट-खसोट, जीरो लॉस, दलाली, तुष्टिकरण में व्यस्त थे तब चीन अलग ही काम में व्यस्त था - वो था String of Pearls (Indian Ocean) Strategy. इसके तहत चीन ने बांग्ला देश के चित्तगोंग में एक बड़ा नवल यार्ड बनाने के बाद श्री लंका के हम्बनबोटा में 20 अरब डॉलर का कमर्शियल शिपिंग सेंटर बनाया।


उसके बाद पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को बनायi.... इस पोर्ट का असल सामरिक और व्यापारिक अधिपत्य चीन के पास है। ....... anti - piracy के बहाने से अपनी मज़बूत स्थिति बनाई। चीन के चक्रव्यूह को देखते हुवे।

अब इस नयी सरकार ने इस दिशा में कदम उठाया है … और "सागरमाला" नामक रणनीति पर काम शुरू कर दिया है... नेपाल में बिजली कारखाना, सड़क और बुनियादी सुविधाओं के लिए मदद एक सफल कोशिश की नेपाल चीन के तरफ फिर न जाए (नेपाली माओवादी पहले ये कर चुके है), उसके बाद म्यांमार, फिजी यात्रा भारत को चीन के करीब बेस बनाने का स्थान पाने का सफल कोशिश, वियतनाम को स्वदेशी पोत - जिससे अब दक्षिणी चीन सागर में न सिर्फ भारत की सामरिक शक्ति का एहसास हुवा हैं बल्कि ONGC जैसे भारतीय कंपनी को तेल शोधन के लिए सारे जरूरी सहयोग भी मिल रहा है।

अब Seychelles, मारीशियस और श्री लंका की यात्रा से भारत को बहुत बड़ा strategic फायदा मिल रहा है, भारत Seychelles में रडार लगाएगा, कण्ट्रोल मारीशियस से होगा, भारत का टोही एयर बेस भी बन जाएगा जिससे चीन की उसके String of Pearls (Indian Ocean) Strategy की सारी जानकारी भारत को उपलब्ध रहेगी ...... चीन की शतरंजी चलों के जवाब में मोदी जी ने शाह मात का खेल चालू कर दिया है।
आने वाले दिनों में PM मोदी की यात्रा मेरे अनुमान के अनुसार मोज़ाम्बीक, ज़िम्बाब्वे, दक्षिणी अफ्रीका, ओमान के अलावा इंडोनेशिया, फ़िलीपीन्स और विएतनाम होंगे.....
बेबकूफी की हद है .....

आज देश जिस हालात में है मोदी उस संकट को उबारने में दिन रात लगे हुए हैं लेकिन कुछ लोग व्यंग के नाम पर बेबकूफी दिखा रहे हैं ।

कुछ लाईक शेयर के लिए विदेशनीति का मजाक उड़ाया जा रहा है । क्या फर्क है अब मीडिया में और इन लोगो में? प्रधानमन्त्री अब चीन दौरे पर हैं ।

उस चीन के जो एशिया में भारत के सामने हमेशा मुसीबत बन कर खड़ा होता है । स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ नाम की चीन की एक ऐसी चाल जिसके जरिये भारत पर चीन कब्ज़ा करना चाहता है ।
यह एक ऐसी चाल है जिसके जरिये चीन भारत की सीमाओं पर बसे देशो से अच्छे सम्बन्ध बना कर उनके यहाँ बन्दरगाह ले रहा है । चीन कहता है इसका प्रयोग वो व्यापार के लिए करेगा पर इतिहास गवाह है चीन अपने व्यापार को मिलेट्री-सहायता देने में गुरेज नहीं करता है—जैसा कि हर देश को करना चाहिए ।
15वीं सदी के शुरुआत में जब चीन के मिंग-राजवंश ने अपना समुद्री-काफिला व्यापार करने के लिए दुनियाभर में भेजा था तो उसके साथ पूरे 72 युद्धपोत भेजे थे, ताकि उन्हे समुद्री-डकैतों और विरोधी देशों की नौसेनाओं से मुकाबला किया जा सके ।

'स्ट्रिंग ऑफ़ पलर्स' के तहत चीन ने पाकिस्तान में ग्वादर, श्रीलंका में हम्बनटोटा, बर्मा में कोको द्विप, दक्षिण चीन सागर में हेनान दीप आदि पर कब्ज़ा करता चला जा रहा है । चीन की इस चाल का खुलासा अमेरिका ने 2005 में ही कर दिया था क्यूकि दक्षिण चीन सागर से बन रहे है इस जाल का अंत अमेरिका को घेरने तक का है लेकिन भारत सरकार सोती रही ।
भारत ने इस पर ध्यान 2011 में दिया और तब तक हम घिर चुके थे । इस मामले में बड़ी बेबकूफी हमारी पूर्व सरकारों की रही है जिन्होंने कभी पड़ोसियों को अपना नही बनाया और आज आप मोदी के बारे में इसीलिए सुन रहे हैं कि भारत का कोई प्रधानमन्त्री इतने साल बाद नेपाल गए, इतने साल बाद जापान गए, इतने साल बाद मोरोशिस गए ।

मित्रो हमारे पड़ोसी देशो को पूर्व सरकारों ने कोई अहमियत नही दी जिसका फायदा चीन ने उठाया और हालात आपके सामने हैं । यह कहानी बहुत बड़ी और संकट लिए है जिसे बहुत आसान शब्दों में आपको बता रहा हूँ ।
अब आप खुद समझ जाइये कि मोदी क्यू फ्रांस से 136 फाइटर प्लेन खरीद रहे हैं । इजरायल से क्यू लाखो के हथियार खरीदें जा रहे हैं । क्यू सभी पडोसियों से रिश्ते अच्छे बनाये जा रहे हैं ।
पिछले एक साल का कार्यकाल पर आप गौर करें तो मोदी का ध्यान अभी विदेशनीति, देश की सुरक्षा पर ही है । ....वन्देमातरम ...जय माँ भारती ......


अगर आप सहमत है तो इस सचाई "शेयर " कर के उजागर करे।

!! कुरान का काला सच !!



इस्लाम का सबसे महत्वपूर्ण मिशन पूरे विश्व को दारुल इस्लाम बनाना है। कुरान, हदीस, हिदाया, सीरतुन्नबी इस्लाम के बुनयादी ग्रन्थ है.इन सभी ग्रंथों में मुसलमानों को दूसरे धर्म वालो के साथ क्रूरतम बर्ताव करके उनके सामने सिर्फ़ इस्लाम स्वीकार करना अथवा म्रत्यु दो ही विचार रखने होते है। इस्लाम में लूट प्रसाद के रूप में वितरण की जाती है...

मानव एकता और भाईचारे के विपरीत कुरान का मूल तत्व और लक्ष्य इस्लामी एकता व इस्लामी भाईचारा है. गैर मुसलमानों के साथ मित्रता रखना कुरान में मना है. कुरान मुसलमानों को दूसरे धर्मो के विरूद्ध शत्रुता रखने का निर्देश देती है । कुरान के अनुसार जब कभी जिहाद हो ,तब गैर मुस्लिमों को देखते ही मार डालना चाहिए।
कुरान में मुसलमानों को केवल मुसलमानों से मित्रता करने का आदेश है। सुरा ३ की आयत ११८ में लिखा है कि, "अपने (मजहब) के लोगो के अतिरिक्त किन्ही भी लोगो से मित्रता मत करो। "
लगभग यही बात सुरा ३ कि आयत २७ में भी कही गई है, "इमां वाले मुसलमानों को छोड़कर किसी भी काफिर से मित्रता न करे। "
सन १९८४ में हिंदू महासभा के दो कार्यकर्ताओं ने कुरान की २४ आयातों का एक पत्रक छपवाया । उस पत्रक को छपवाने पर उनको गिरफ्तार कर लिया गया। परन्तु तुंरत ही कोर्ट ने उनको रिहा कर दिया। कोर्ट ने फ़ैसला दिया,"कुरान मजीद का आदर करते हुए इन आयतों के सूक्ष्म अध्यन से पता चलता है की ये आयते मुसलमानों को गैर मुसलमानों के प्रति द्वेषभावना भड़काती है............."उन्ही आयतों में से कुछ आयतें निम्न है.....

सुरा ९ आयत ५ में लिखा है,......."फ़िर जब पवित्र महीने बीत जायें तो मुशरिकों (मूर्ती पूजक) को जहाँ कहीं पाओ कत्ल करो और उन्हें pakdo व घेरो और हर घाट की जगह उनकी ताक में बैठो। यदि वे तोबा करले ,नमाज कायम करे,और जकात दे तो उनका रास्ता छोड़ दो। निसंदेह अल्लाह बड़ा छमाशील और दया करने वाला है। "

सुरा ९ की आयत २३ में लिखा है कि, "हे इमां वालो अपने पिता व भाइयों को अपना मित्र न बनाओ ,यदि वे इमां कि अपेक्षा कुफ्र को पसंद करें ,और तुमसे जो मित्रता का नाता जोडेगा तो ऐसे ही लोग जालिम होंगे। "
इस आयत में नव प्रवेशी मुसलमानों को साफ आदेश है कि,जब कोई व्यक्ति मुस्लमान बने तो वह अपने माता , पिता, भाई सभी से सम्बन्ध समाप्त कर ले।

सुरा ४ की आयत  ..........."जिन लोगो ने हमारी आयतों से इंकार किया उन्हें हम अग्नि में झोंक देगे। जब उनकी खाले पक जाएँगी ,तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रसा-स्वादन कर लें। निसंदेह अल्लाह ने प्रभुत्वशाली तत्व दर्शाया है।"

सुरा ३२ की आयत २२ में लिखा है "और उनसे बढकर जालिम कोन होगा जिसे उसके रब की आयतों के द्वारा चेताया जाए और फ़िर भी वह उनसे मुँह फेर ले।निश्चय ही ऐसे अप्राधिओं से हमे बदला लेना है। "

सुरा ९ ,आयत १२३ में लिखा है की," हे इमां वालों ,उन काफिरों से लड़ो जो तुम्हारे आस पास है,और चाहिए कि वो तुममे शक्ति पायें।"

सुरा २ कि आयत १९३ ............"उनके विरूद्ध जब तक लड़ते रहो, जब तक मूर्ती पूजा समाप्त न हो जाए और अल्लाह का मजहब(इस्लाम) सब पर हावी न हो जाए. "

सूरा २६ आयत ९४ ..................."तो वे गुमराह (बुत व बुतपरस्त) औन्धे मुँह दोजख (नरक) की आग में डाल दिए जायंगे."

सूरा ९ ,आयत २८ ......................."हे इमां वालों (मुसलमानों) मुशरिक (मूर्ती पूजक) नापाक है। "
गैर मुसलमानों को समाप्त करने के बाद उनकी संपत्ति ,उनकी औरतों ,उनके बच्चों का क्या किया जाए ? उसके बारे में कुरान ,मुसलमानों को उसे अल्लाह का उपहार समझ कर उसका भोग करना चाहिए।
सूरा ४८ ,आयत २० में कहा गया है ,....."यह लूट अल्लाह ने दी है। "
सूरा ८, आयत ६९..........."उन अच्छी चीजो का जिन्हें तुमने युद्ध करके प्राप्त किया है,पूरा भोग करो। "
सूरा १४ ,आयत १३ ............"हम मूर्ती पूजकों को नष्ट कर देंगे और तुम्हे उनके मकानों और जमीनों पर रहने देंगे।"

सूरा ४ ,आयत २४.............."विवाहित औरतों के साथ विवाह हराम है , परन्तु युद्ध में माले-गनीमत के रूप में प्राप्त की गई औरतें तो तुम्हारी गुलाम है ,उनके साथ विवाह(बलात्कार) करना जायज है। "



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Sunday 17 May 2015

सत्ता खोने से पाप नहीं धुल जाते, पापी कभी पुण्यात्मा नहीं बन जाते -

मोदी सरकार बनने के बाद दिल में ढ़ेरों उम्मीदें थी, सभी पूरी नहीं हुर्इ, पर विश्वास जगा हैं, क्योंकि जिनके इरादे नेक हों, नीयत पर संदेह नहीं हो, उन पर भरोसा किया जा सकता है। वे इंसान ही हैं, देवता नहीं है, जो चमत्कार कर सकते हैं, किन्तु जिनकी राह सही हो, मन में मेहनत करने का जज्बा हों, तो मंजिल दूर हो सकती है, पर उस तक पहुंचना नामुमकिन नहीं रहता।

वर्षों बाद भारत में एक ऐसी सरकार बनी है, जो पूरी शिद्दत काम कर रही है। देश की समस्याओं को सुलझाने की लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है। अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे हैं, उसका दोष उनका नहीं है, उस सड़ी-गली व्यवस्था का है, जो उन्हें विरासत में मिली है। देश के सामने जो ढ़ेरो समस्याओं का पहाड़ नज़र आ रहा है, वह एक साल में नहीं बना है, इससे बनने में वर्षों लगे हैं। इस तथ्य को झूठलाया नहीं जा सकता कि पिछली सरकारों ने देश की जनता के लिए समस्याओं का पहाड़ खड़ा किया है। उन सरकारों से जुड़े रहने वाले और बाहर से समर्थन दे कर जीवनदान देने वाले सारे नेता बड़ी ही बेशर्मी से सारें पापों का दोष नर्इ सरकार पर डाल अपने पापों से मुक्ति पाने की कोशिश कर रहे हैं। कह रहे हैं- आपने वादा किया था, देश की जनता को सारी समस्याओं से मुक्ति दिला देंगे, फिर क्यों नहीं दिला पाएं ?

सरकार बदलने से आप अपने पापों से मुक्त नहीं हो गये। आपके कलंक को नर्इ सरकार मिटाने का प्रयास कर रही है, इसका मतलब यह नहीं कि जो ऐसा कर रहे हैं, वे ही पापी है और पाप करने वाले पुण्यात्मा हो गये। यह तो उलटा चोर कोतवाल को डांटे जैसी कहावत हो गर्इ। आपने पूरी सरकारी प्रशासनिक व्यवस्था को भ्रष्ट, अकर्मण्य व ठीठ बना दिया, क्योंकि आप स्वयं भ्रष्ट थे, किन्तु अब कह रहे हैं- भ्रष्टाचार खत्म करने का वादा किया था, मिटाया क्यों नहीं ?

आपके शासनकाल में काले धन का खूब उत्पादन हुआ, जिसे आपने रोका नहीं, क्योंकि आप स्वयं कालाधन बनाने में लगे थे। वर्षों से देश का धन बाहर जा रहा था, आपने जाने दिया, क्योंकि आप भी इस बहती गंगा में हाथ धो रहे थे। अब ताल ठोक कर बड़ी बेशर्मी से कह रहे हैं- आप विदेशों में जमा काले धन को ला रहे थे, क्यों नहीं ला पाये ? उनकी बातों से लगता है, पुलिस का डंड़ा हाथ में लिया है, तो चोरों को पकड़ कर बताओं। बेहतर है यही सवाल अपने मन में बैठे चोर से पूछते तो जवाब आता- – चोर तो हम भी हैं, यदि विदेशों में जमा काले धन की सूची में हमारा नाम भी आ गया तब ? पर ऐसा नहीं करते हैं और अपने आपको ढाढ़स बंधाते हुए कहते हैं-घबराने की बात नहीं है। काले धन को जहां छुपा रखा है, उसकी पर्तें उधेड़ने में पांच साल लगा जायेंगे। तब तक काले धन को ले कर खूब शोर मचाओं, क्योंकि अपराधी जब तक पकड़े नहीं जायेंगे, सीना चौड़ा कर सरकार को कठघरें में खड़ा करते रहेंगे। भारत की मूर्ख जनत के पास ज्यादा अक्ल तो हैं नहीं। हमारा शोर सुन कर हमारी हो जायेगी। पांच साल तक ये कुछ नहीं कर पायेंगे औंर पांच साल बाद फिर हम आ जायेंगे। ये लाख सर पटक लें, कुछ नहीं कर पायेंगे। इन्हें जुम्मे-जुम्मे आये चार दिन हुए हैं, हम वर्षों से सत्ता में रहे हैं। हमारी चालाकियों को न ये समझ पायेंगे और न ही हमारा बाल भी बांका कर पायेंगे।

लाखों एकड़ जमीन किसानों से छीन कर उद्योगपतियों और बिल्ड़रों को दे दी, बाद में एक अध्यादेश ला कर अपने पापों का प्रायश्चित कर लिया। अब नर्इ सरकार को बदनाम कर रहे हैं कि ये किसानों की जमीन छीन कर उद्योगपतियों को दे रही है। जबकि मोदी सरकार ने न तो किसानों से जमीन छीनी है और न ही पूंजीपतियों को दी है। पाप किये ही नहीं, उसके पहले भ्रातियां फैला पापी बता रहे हैं, किन्तु आपने तो पाप कर लिया, उसका जवाब देने के लिए क्यों बगले झांक रहे हैं ? मोदी सरकार को चाहिये कि पिछले अड़सठ वर्षों में केन्द्र और प्रान्तों की सरकारों ने जितनी जमीन किसानों से छीन कर पूंजीपतियों को दी है, उसका पूरा विवरण सार्वजनिक कर, इनके चेहरे पर कालिख पोत दें, ताकि जनता के बीच में जब भी शोर मचाने जायें, जनता उन्हें आर्इना दिखा सकें।

चुनाव हार गये। सरकार चली गयी, इसलिए जितने घोटाले-घपले कर राजकोषीय घाटा बढ़ा महंगार्इ बढ़ार्इ, उससे अपने आपको पूरी तरह दोषमुक्त समझ रहे हैं। अब इस बात का जवाब मांग रहें हैं कि हमारे करमों से देश में इतनी महंगार्इ बढ़ गर्इ थी, उसे आप एक साल में कम क्यों नहीं कर पाये ? महंगार्इ की गाड़ी जो तेजी से आगे बढ़ रही थी, उसे नर्इ सरकार ने रोक दी है और अब पूरी ताकत से उसे पीछे की तरफ धेकेलने की कोशिश की जा रही हैं, परन्तु वे इससे संतुष्ट नहीं हैं और सवाल कर रहे हैं-महंगार्इ कम करने का वादा किया था, उसमें आप नाकामयाब कैसे रहें ? आपको एक साल में महंगार्इ को कम कर वही ले जाना था, जहां यह दस साल पहले थी और जिसे बढ़ाते-बढ़ाते हम आज यहां तक ले कर आये हैं।
दस वर्षों मे देश की आर्थिक प्रगति अवरुद्ध हो गर्इ, जिससे करोड़ो नये रोजगार का सृजन नहीं हुआ, परन्तु सवाल पूछ रहे हैं-आपने एक साल में कितनी नौकरियां पैदा की ? मोदी सरकार आर्थिक दशा सुधारने की भरसक कोशिश कर रही है, उससे उन्हें कोर्इ मतलब नहीं। विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए एक साल से प्रधानमंत्री विदेशी सरकारों और उद्योगपतियों के साथ बेहतर संबंध बनाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। निकट भविष्य में भारत में निवेश आ भी रहा है, जिससे नये रोजगार भी पैदा होंगे, पर वे पूछ रहे हैं, कल क्या होगा, इसके बारे में हम कुछ सुनना नहीं चाहते, हमे तो आज का हिसाब चाहिये।

एक साल तक सता खोने का मातम मनाया अब सत्ता पाने के लिए तड़फ रहे हैं। खीझ कर मोदी सरकार की राह में रोज कांटे बिछा रहे हैं। विकास के रथ को रोकने के लिए जी जान से लगे हुए है। पहले अल्पसंख्यकों के दर्द में दुबले हो कर रोते थे, पर आजकल उन्हें भूल कर किसानों की पीड़ा पर आंसू बहा रहे हैं। किसानों की दुर्दशा के स्वयं जिम्मेदार है, पर नर्इ सरकार पर दोष मंढ़ने के लिए रोज नौटंकियां कर रहे हैं। उन्हें ऐसी खुशफहमी है कि गरीबी और अभावों के अथाह सागर के भंवर में फंसी भारतीय जनता उन खलनायकों को भूल गर्इ हैं, जिन्होंने उसे यहां तक पहुंचाया है। सत्ता जाते ही स्वयं ही अपने आपको दोषमुक्त समझ रहे हैं। पर ऐसा है नहीं। दोषियों को जनता ने सजा दे दी हैं और भविष्य में भी चोरों को सत्ता सौंप कर भारत की जनता अपनी पिछली गलतियां फिर नहीं दोहरायेगी।

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मैंने गाँधी को क्यों मारा " ? नाथूराम गोडसे का अंतिम बयान -


{इसे सुनकर अदालत में उपस्तित सभी लोगो की आँखे
गीली हो गई थी और कई तो रोने लगे थे एक जज महोदय ने
अपनी टिपणी में लिखा था की यदि उस समय अदालत
में उपस्तित लोगो को जूरी बनाया जाता और उनसे फेसला देने को कहा जाता तो निसंदेह वे प्रचंड बहुमत से
नाथूराम के निर्दोष होने का निर्देश देते }

नाथूराम जी ने कोर्ट में कहा --सम्मान ,कर्तव्य और अपने
देश वासियों के प्रति प्यार कभी कभी हमे अहिंसा के
सिधांत से हटने के लिए बाध्य कर देता है. मैं कभी यह
नहीं मान सकता की किसी आक्रामक का शसस्त्र प्रतिरोध करना कभी गलत या अन्याय पूर्ण
भी हो सकता है। प्रतिरोध करने और यदि संभव
हो तो एअसे शत्रु को बलपूर्वक वश में करना, में एक
धार्मिक और नैतिक कर्तव्य मानता हूँ। मुसलमान
अपनी मनमानी कर रहे थे। या तो कांग्रेस उनकी इच्छा के
सामने आत्मसर्पण कर दे और उनकी सनक, मनमानी और आदिम रवैये के स्वर में स्वर मिलाये अथवा उनके
बिना काम चलाये .वे अकेले ही प्रत्येक वस्तु और
व्यक्ति के निर्णायक थे. महात्मा गाँधी अपने लिए
जूरी और जज दोनों थे। गाँधी ने मुस्लिमो को खुश करने के
लिए हिंदी भाषा के सोंदर्य और सुन्दरता के साथ
बलात्कार किया. गाँधी के सारे प्रयोग केवल और केवल हिन्दुओ की कीमत पर किये जाते थे जो कांग्रेस
अपनी देश भक्ति और समाज वाद का दंभ
भरा करती थी .उसीनेगुप्त रूप से बन्दुक की नोक पर
पकिस्तान को स्वीकार कर लिया और जिन्ना के
सामने नीचता से आत्मसमर्पण कर दिया .मुस्लिम
तुस्टीकरण की निति के कारन भारत माता के टुकड़े कर दिए गय और 15 अगस्त 1947 के बाद देशका एक तिहाई
भाग हमारे लिए ही विदेशी भूमि बन गई.नहरू
तथा उनकी भीड़ की स्विकरती के साथ ही एक धर्म के
आधार पर राज्य बना दिया गया .इसी को वे
बलिदानों द्वारा जीती गई सवंत्रता कहते है
किसका बलिदान ? जब कांग्रेस के शीर्ष नेताओ ने गाँधी के सहमती से इस देश को काट डाला, जिसे हम
पूजा की वस्तु मानते है तो मेरा मस्तिष्क भयंकर क्रोध से
भर गया। मैं साहस पूर्वक कहता हु की गाँधी अपने कर्तव्य
में असफल हो गय उन्होंने स्वय को पकिस्तान
का पिता होना सिद्ध किया .
में कहता हु की मेरी गोलिया एक ऐसे व्यक्ति पर चलाई गई थी ,जिसकी नित्तियो और कार्यो से
करोडो हिन्दुओ को केवल बर्बादी और विनाश
ही मिला ऐसे कोई क़ानूनी प्रक्रिया नहीं थी जिसके
द्वारा उस अपराधी को सजा दिलाई जा सके इस्सलिये
मेने इस घातक रस्ते का अनुसरण किया..............मैं अपने
लिए माफ़ी की गुजारिश नहीं करूँगा ,जो मेने किया उस पर मुझे गर्व है . मुझे कोई संदेह नहीं है की इतिहास के
इमानदार लेखक मेरे कार्य का वजन तोल कर भविष्य में
किसी दिन इसका सही मूल्याकन करेंगे।

जब तक सिन्धु नदी भारत के ध्वज के नीछे से ना बहे तब
तक मेरी अस्थियो का विसर्जित मत करना। 

अगर आप सहमत है तो इस सचाई "शेयर " कर के उजागर करे।

जब नेहरू ने राजेंद्र प्रसाद को राष्‍ट्रपति बनने से रोकने के लिए पटेल के नाम पर झूठा पत्र लिखा -

‪आजादी के बाद तैयार हो रहे नए संविधान के अनुसार गर्वनर जनरल का पद समाप्‍त होकर राष्‍ट्रपति का पद निर्माण होना था। माउंटबेटन की विदाई के बाद राजगोपालाचारी गर्वनर जनरल के रूप में कार्यरत थे।  नेहरू की इच्‍छा थी कि देश के प्रथम राष्‍ट्रपति भी राजगोपालाचारी उर्फ राजा जी बनें। सरदार पटेल उससे उलट सोचते थे।


राजाजी ने 1941 में अंग्रेज सरकार और मुस्लिम लीग के साथ समझौता करने के लिए कांग्रेस छोड़ दिया था और वह कांग्रेस के 'भारत छोड़ो आंदोलन' से भी हट गए थे। सरदार इसे भुला नहीं पाए थे। उनकी मंशा थी कि प्रथम राष्‍ट्रपति के लिए राजेंद्र प्रसाद ही सबसे उपयुक्‍त हैं। इसके अलावा राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्‍यक्ष भी थे, इसलिए नेहरू को छोड़कर अन्‍य सभी सदस्‍यों की इच्‍छा थी कि डॉ राजेंद्र प्रसाद ही देश के प्रथम राष्‍ट्रपति बने।

नेहरू ने राजेंद्र प्रसाद को रास्‍ते से हटाने के लिए एक झूठा पत्र उन्‍हें लिखा। नेहरू ने लिखा,

'' मैंने इस विषय में वल्‍लभभाई के साथ चर्चा कर ली है। हम दोनों की यही सोच है कि वर्तमान व्‍यवस्‍था को जारी रखना ही सर्वाधिक उचित एवं उत्‍तम मार्ग है, यानी कि राजाजी प्रमुख के रूप में बने रहें। यद्यपि आप प्रमुख बनें, यह पंसद भी अत्‍यंत प्रसन्‍नतादायक होगी, परंतु उसमें परिवर्तन करना होगा और फलस्‍वरूप अलग स्‍वयस्‍था करनी होगी। मैं आशा करता हूं आप सहमत होंगे। इस विषय में किसी अन्‍य व्‍यक्ति के बदले आप स्‍वयं ही ऐसा सुझाव देंगे तो आपके लिए भी उचित होगा।''

पत्र पढ़कर राजेंद्र प्रसाद बहुत दुखी हो गए। उन्‍हें लगा कि उन्‍हें विश्‍वास में लिए बिना सरदार पटेल और नेहरू ने यह निर्णय भी कर लिया और सरदार ने उन्‍हें बताया भी नहीं। नेहरू के पत्र में राजाजी के नाम पर सरदार पटेल की सहमति देखकर राजेंद्र प्रसाद को लगा कि सरदार उनके समक्ष कुछ कह रहे हैं और पीठ पीछे कुछ और ही कर रहे हैं।


राजेंद्र प्रसाद ने सीधे सरदार पटेल से बात की और यह झूठ खुल गया कि सरदार ने कभी राजाजी के नाम पर सहमति जताई ही नहीं थी। नेहरू ने राजेंद्र प्रसाद को रास्‍ते से हटाले के लिए अपने पत्र में सरदार का नाम झूठ बोलते हुए लिखा था। नेहरू पकड़े गए। राजेंद्र प्रसाद भड़ग गए और जवाहरलाल से सीधा इस झूठ के संबंध में पूछ लिय। जवाहरलाल को अपमानित होना पड़ा और उन्‍होंने फिर एक झूठ बोलते हुए कहा कि उन्‍होंने सरदार का नाम गलती से लिख दिया था।

सरदार को जवाहरलाल नेहरू की यह कुटिलता पसंद नहीं आयी। उन्‍हें लगा कि जवाहरलाल को अवगत कराना ही होगा कि संगठन की ताकत उनके साथ है न कि जवाहर के साथ। जवाहरलाल ने जब राष्‍ट्रपति के लिए राजाजी का नाम प्रस्‍तावित किया तो तुरंत ही सदस्‍यों ने शोर मचाकर इसका विरोध प्रकट कर दिया। परिस्थिति इतनी बिगड़ गई कि जवाहरलाल अपना पूरा वक्‍तव्‍य ही नहीं पढ़ पाए। वह सरदार की ओर मुड़े ताकि सरदार उन्‍हें अपमान से बचा लें और राजाजी का नाम प्रस्‍तावित कर दें, लेकिन सरकार ने नेहरू को समर्थन देने से स्‍पष्‍ट इनकार कर दिया। बाद में सरदार ने अपने कांग्रेसी साथी द्वारकाप्रसाद मिश्र से कहा कि, 'यदि दुल्‍हा (राजेंद्र प्रसाद) खुद पालकी छोड़कर भाग न जाए तो उसकी शादी पक्‍की (अर्थात राष्‍ट्रपति बनना तय) है।'' राजाजी को सरदार ने मना कर बैठा लिया और 26 जनवरी 1950 को नए संविधान के अनुसार भारतीय गणतंत्र का जन्‍म हुआ और डॉ राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्‍ट्रपति बने।


राजेंद्र प्रसाद के कारण हुए इस अपमान को जवारलाल कभी नहीं भूल पाया । ये बात तो जगजाहिर है की दोनों के सम्बन्ध कभी ठीक नहीं थे,  और ये नेहरु जैसे दुष्ट मनुष्य की कुटिलता का ही परिणाम था | जब डॉ राजेंद्र प्रसाद की मृत्‍यु हुई तो उन्‍हें अंतिम विदाई देने वह खुद तो नहीं ही गए, अपने मंत्रीमंडल के सदस्‍यों और तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति डॉ राधाकृष्‍णन को भी जाने से रोका। लेकिन राधाकृष्‍णन उनके बातों को काट कर राजेद्र प्रसाद की अंतिम क्रिया में पहुंचे थे।


काश सरदार जिस तरह से डॉ राजेंद्र प्रसाद के लिए लड़े, यदि अपने लिए भी लड़े होते तो देश के पहले प्रधानमंत्री होते और देश को नेहरू-गांधी परिवार के कारण दुर्भाग्‍य का शिकार नहीं होना पड़ता। लेकिन तब गांधी जी के कारण सरदार ने अपना नाम वापस ले लिया था, जिसकी वजह से 15 सदस्‍यीय समिति में एक भी मत न पाने वाले जवाहरलाल नेहरू तत्‍कालीन अध्‍यक्ष बन गए और बाद में देश के प्रधानमंत्री भी। उस दिन गांधी जी ने लोकतंत्र (सर्वसम्‍मति से लिए गए निर्णय को ठुकराना, लोकतंत्र की हत्‍या ही है।) का गला घोंट कर जवाहरलाल नेहरू को अध्‍यक्ष बनवाया था।

अगर आप सहमत है तो इस सचाई "शेयर " कर के उजागर करे।

विलुप्‍त' सरस्‍वती नदी की खोज में एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है -


🚩🚩जय सरस्वती मैया🚩🚩

🚩🚩🚩🚩जय सनातन धर्म🚩🚩🚩🚩

🚩सनातन धर्म🚩 के 📚वेद 📗📘पुराणों को काल्पनिक कहने वालों के मूँह पर एक और जोरदार तमाचा जाने और कितने जूते खाऐंगे 🚩🌼सनातन धर्म 🌼🚩के 📚ग्रंथों को काल्पनिक बताने वाले लोग......


🌏यमुनानगर (हरियाणा) : 'विलुप्‍त' सरस्‍वती नदी की खोज में एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। 🌏यमुनानगर के आदिबद्री से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर पिछले महीने के आखिरी हफ्ते में 🚩सरस्तवी नदी 🚩की खोज को लेकर खुदाई शुरू हुई थी, जिसमें धरातल से महज सात-आठ फीट की खुदाई पर ही वहां जलधारा एकाएक फूट पड़ी जानकारों के अनुसार इसे 🚣सरस्वती नदी का जल माना जा रहा है। ये पानी 7 फीट की खुदाई पर मिला है।

आदिबद्री से पांच↔ किलोमीटर दूर मुगलवाली गांव में मनरेगा के तहत दर्जनों 🚜मजदूर काम कर रहे थे। करीब आठ फीट की गहराई तक खुदाई करने के बाद कुछ मजदूरों को अचानक जमीन से पानी की धारा निकलते दिखी। पहले थोड़ा पानी निकला, लेकिन जैसे ही ज्यादा खुदाई की तो पानी की मात्र बढ़ती चली गई। पानी निकलते ही मजदूर वहां जमा हो गए। देखते ही देखते चार जगहों पर 🚩🌸सरस्वती 🌸🚩का पानी निकलने लगा। कई मीडिया रिपोर्टों के हवाले से यह कहा गया है कि जमीन के नीचे बह रही 🌺सरस्‍वती नदी 🌺को धरातल पर लाने के लिए मनरेगा के तहत 15 दिन में तीन किलोमीटर खुदाई की जा चुकी है। इतनी कम गहराई पर नीली बजरी व चमकदार रेत, अन्य नदियों के समान ही पानी निकला। इसके बाद मजदूरों ने 8-10 खड्डे खोदे और 9-10 फुट पर सभी जगह पानी फुट पड़ा।

👉🌏धरती से 🚩सरस्वती🚩 का पानी निकलने की खबर पूरे जिले में 📣फैल गई और लोगों का जमावड़ा मुगलवाली में लग गया। जानकारी के अनुसार, डीसी डा. एसएस फूलिया और एसडीएम बिलासपुर भी मौके पर पहुंचे। मुगलवाली गांव में उपायुक्त ने कहा कि 🚩सरस्वती नदी🚩 का जिक्र 📚पुरानों में मिलता था और आज वह हकीकत के रूप में धरती पर अवतरित हो गई है। उन्होंने बताया कि 21 अप्रैल को सरकार ने मनरेगा परियोजना के तहत इस नदी की खुदाई शुरू की गई थी और अब 🚩सरस्वती नदी🚩 का अस्तिव उभरने लगा है।

👉आदिबद्री से पांच किलोमीटर दूर मुगलवाली गांव में 🚩सरस्वती🚩 की जलधारा फूटते ही 🎪🌷श्रद्धा🌷🎪 का सैलाब उमड़ पड़ा। बुधवार को यहां पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं ने विधिवत रूप से पवित्र धारा की पूजा की और 🌼🍀फल-फूल🍀🌼 चढ़ाए। बताया जा रहा है कि यह पवित्र जलधारा यमुनानगर से निकलकर छह अन्य जिलों से होकर बहेगी। नदी को अगला पड़ाव देने के लिए 20 सदस्यीय कमेटी का गठन किया जा रहा है, जिसमें 🚩सरस्वती🚩 शोध संस्थान के अध्यक्ष शामिल होंगे।


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सोनिया गाँधी का वह सच जो आपके होश उड़ा देगा -


सभी लोगो से अनुरोध है की इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगो के पास पहुचाये. जय श्री राम......